कोरोना काल और सर्दियों के मौसम मेंके बीच ट्यूबरक्लोसिस के खतरे से भी रहें सावधान


 

- दो हफ्ते से अधिक समय से किसी प्रकार की सर्दी - खांसी होने पर तत्काल कराएं जांच, हो सकता है टीबी का खतरा 

-  टीबी का कोई भी लक्षण मिलने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क कर तत्काल कराएं बेहतर इलाज 

लखीसराय, 30 दिसंबर : जिले में  सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ हीं लोगों में सर्दी- खांसी का  होना आम हो गया है। उसमें भी उस समय जब पूरा देश पहले से ही कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से परेशान है। ऐसी स्थिति में लोगों को कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच  टीबी जैसी बैक्टेरिया जनित संक्रामक बीमारी के प्रति भी काफी सावधान रहने की आवश्यकता है। 


जिले के ट्यूबरक्लोसिस विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. सुरेश शरण ने बताया कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टेरिया के कारण होता है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है क्योंकि हवा के जरिये यह बीमारी एक से दूसरे इंसान के अंदर फैलता है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह, नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलती है। फेफड़ों के अलावे कोई दूसरा टीबी इतना संक्रामक नहीं होता है।  


क्या है ट्यूबरक्लोसिस ? 

यह एक बैक्टेरिया जनित एक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ और  फेफड़ों में संक्रमण होता है। इसे सामान्य रूप में यक्ष्मा, तपेदिक, एमटीबी या टीबी भी कहा जाता है। यह एक आम बीमारी है जो कई मामलों में घातक भी साबित होती है। यह बीमारी माइक्रो बैसिलस बैक्टेरिया के कारण होता है। यह बीमारी आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है। सही समय पर सही सही इलाज नहीं होने पर उसे बेकार भी कर सकता है। फेफड़ों के अलावे ये ब्रेन, यूटरस, मुंह, लीवर, गला आदि में भी हो सकता है। ज्यादातर मामलों में मरीजों में इसका कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता है। लेकिन जहां लक्षण दिखाई देते है वो इस प्रकार के होते हैं - 

लक्षण:

सर्दी - खांसी का होना : डॉ. सुरेश शरण ने बताया टीबी की वजह से फेफड़ा प्रभावित होता है। शुरू में मरीज को सुखी सूखी खांसी होती है फिर कुछ हफ्तों के बाद खांसी के साथ बलगम और खून भी आना शुरू हो जाता है। दो हफ्ते तक ऐसी स्थिति रहने के बाद तत्काल बलगम कि की जांच करवानी चाहिए। इसके अलावा 

- पसीना आना,  

- बुखार का रहना, 

- थकावट महसूस होना,  

- वजन का घटना,  

- सांस लेने में तकलीफ होनेहोना लक्षणों में शामिल है। 


ट्यूबरक्लोसिस से बचाव के तरीके : 

- ट्यूबरक्लोसिस के खतरे से बचाने के लिए बच्चे के जन्म के बाद हीं बीसीजी का टीका लगवाना आवश्यक है। 

- टीबी चुकीचूंकि सांस सबंधी बैक्टेरिया जनित संक्रामक बीमारी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव फेफरों पर पड़ता है इसलिए बीड़ी- सिगरेट सहित अन्य धूम्रपान से पूरी तरह परहेज बरतना आवश्यक है। 

- टीबी से संक्रमित मरीज हमेशा अपने साथ एक प्लास्टिक का बैग रखें और उसमें ही थूकने के बाद उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह से बंद करने के बाद डस्टबीन में डालें। जहां -तहां थूकने से परहेज करें। 

- टीबी मरीज हमेशा हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में हीं रहें। 

- टीबी का मरीज हमेशा मास्क या रुमाल या अन्य कपड़े से अपने मुंह एवं नाक को ढकें ताकि मुंह के ड्रॉपलेटस के जरिये संक्रमण न फैल सके। 

- टीबी का मरीज हमेशा ताजा औऱ पोस्टिकपौष्टिक खाना हीं खाये ताकि उसके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिल सके और वो स्वस्थ्य रह सके।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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