दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी हो तो टीबी जांच जरूर कराएं

-वार्ड 34 की पार्षद बीवी वालिमा लोगों को टीबी के प्रति कर रहीं जागरूक

-जनआंदोलन थीम के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम इस पर कर रही काम


भागलपुर, 22 जुलाई-


 टीबी एक संक्रामक रोग जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी हो और खांसी में खून आए तो तत्काल जांच कराएं। जांच कराने के बाद अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो इलाज शुरू कर दें। समय पर इलाज हो जाने से टीबी जल्द ठीक हो जाता है और यह दूसरों में भी नहीं फैलता है। इसलिए समय पर इलाज कराना जरूरी है। ऐसा कहना है वार्ड नंबर 34 की पार्षद बीवी वालिमा का। जनआंदोलन थीम के तहत लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीम काम कर रही है। इसमें कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केजीपीटी) और केयर इंडिया की टीम भी सहयोग कर रही है। इसी के तहत गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम वार्ड नंबर 34 गई और वहां की पार्षद से लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने की अपील की गई।

स्वास्थ्य विभाग की टीम बहुत ही बेहतर मुद्दे पर काम कर रही है-

बातचीत के क्रम में बीवी वालिमा ने बताया कि मैं पहले से ही इसे लेकर काम कर रही हूं। अगर किसी को टीबी  की  शिकायत होती है तो उसे तत्काल अस्पताल भेजने की व्यवस्था करती हूं। स्वास्थ्य विभाग की टीम बहुत ही बेहतर मुद्दे पर काम कर रही है। इसके लिए मुझसे जहां तक सहयोग होगा मैं करूंगी। मैं अपने क्षेत्र में घूम-घूमकर लोगों को इसके प्रति समझाउंगी। जब सरकार की तरफ से इलाज की पूरी व्यवस्था है तो लोगों को इलाज कराने में किसी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए। अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर है तो उसे भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकारी अस्पताल में जांच से इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। ऊपर से 500 रुपये महीने मरीज को पौष्टिक आहार के लिए भी मिलता है।

टीबी मरीज से नहीं करें भेदभावः 

बीवी वालिमा कहती हैं कि पहले टीबी बीमारी के प्रति छुआछूत अधिक थी, लेकिन जागरूकता बढ़ने से इसमें कमी आई है। मेरा कहना है कि टीबी एक संक्रमाक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। मैं अपने क्षेत्र के लोगों से जाकर यही अपील करूंगी कि अगर कोई टीबी के लक्षण वाले लोग दिखते हैं तो उससे घृणा करने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। मैं खुद भी ऐसा करती हूं। ऐसा करने से मरीज का इलाज समय पर हो जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। उसके ठीक होने से इसका संक्रमण दूसरों में भी नहीं होगा। साथ ही मैं लोगों से यह भी अपील करना चाहती हूं कि टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है। एमडीआर टीबी होने पर ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है। इसलिए बीच में दवा नहीं छोड़ें।

टीबी को हल्के में नहीं लेना चाहिएः 

सीडीओ डॉ दीनानाथ कहते हैं कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। टीबी का अगर आप इलाज नहीं कराते हैं तो इस  बीमारी  का एक के जरिए कई लोगों में  प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी  समाप्त हो जाएगा।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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