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प्रजनन स्वास्थ्य एवं सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर जिलास्तरीय संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन
- परिवार नियोजन एवं सुरक्षित गर्भपात के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बिहार और उत्तर प्रदेश के 10 -10 संस्थाओं का बनाया गया है " साझा प्रयास " नेटवर्क
- आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सौजन्य से मुंगेर की सेवायतन संस्था के द्वारा किया गया कार्यशाला का आयोजन
मुंगेर, 15 सितंबर| महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकार (एसआरएचआर), परिवार नियोजन एवं सुरक्षित गर्भपात के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बिहार और उत्तर प्रदेश की 10 -10 संस्थाओं का बनाया गया है " साझा प्रयास " नेटवर्क । उक्त बातें बुधवार को साझा प्रयास " नेटवर्क के तहत मुंगेर स्थित चांद महल के सभागार में आयोजित प्रजनन स्वास्थ्य एवं सुरक्षित गर्भसमापन विषय पर जिलास्तरीय संवेदीकरण कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए बिहार वॉलेंटरी हेल्थ एसोसिएशन पटना के सीनियर प्रोग्राम अधिकारी खुर्शीद अकरम अंसारी ने कही। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भसमापन कराना वैध है। बावजूद इसके गर्भसमापन के लिए भी स्थितियां तय की गई हैं । जैसे गर्भवती महिला को जान का खतरा हो, गर्भवती महिला या गर्भस्थ शिशु में गंभीर शारीरिक एवं मानसिक क्षति की संभावना हो, दुष्कर्म की शिकार महिला के गर्भधारण करने की स्थिति में एवं विवाहित जोड़ों में गर्भनिरोध की विफलता की स्थिति में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के अनुसार 20 सप्ताह तक गर्भसमापन की अनुमति दी जाती है जो वैध है। इसके विपरीत लिंग जांच के आधार पर यदि गर्भ समापन कराया जाता है तो वो अवैध होने के साथ-साथ दंडनीय अपराध भी है।
गर्भसमापन सरकारी अस्पताल या डीएलसी कमिटी द्वारा मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल में ही कराया जा सकता-
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के सीनियर कॉर्डिनेटर प्रोग्राम एंड ट्रेनिंग राजीव कुमार गुप्ता ने गर्भसमापन की विभिन्न तकनीकी पहलुओं और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रत्येक वर्ष 12.5 लाख गर्भपात के केस सामने आते हैं और इनमें मात्र 8 प्रतिशत ही सरकारी संस्थाओं में कराए जाते हैं। देश में मातृ मृत्यु दर का 8 प्रतिशत आंकड़ा असुरक्षित गर्भपात के कारण दर्ज किया जाता है। उन्होंने बताया कि 12 सप्ताह तक का गर्भसमापन की सलाह पीएचसी और सीएचसी लेवल पर एमडीटी एक्ट के बारे में 12 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त डॉक्टर खासकर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ ही दे सकती है। किसी भी गर्भवती महिला का गर्भसमापन सरकारी अस्पताल या डीएलसी कमिटी द्वारा मान्यता प्राप्त प्राइवेट अस्पताल में ही कराया जा सकता है। इसके अलावा 13 से 20 सप्ताह का गर्भसमापन रेफ़रल अस्पताल या मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही कराया जा सकता है। इस अवसर पर बिहार वॉलेंटरी हेल्थ एसोसिएशन पटना के सीनियर प्रोग्राम अधिकारी खुर्शीद अकरम अंसारी ने साझा प्रयास के द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर सेवायतन संस्था के मनिंदर कुमार सिंह, पनाह आश्रम से मिस नाज़, दिशा बिहार से अभय कुमार अकेला सहित कई संस्था के प्रतिनिधि के अलावा डेवलपमेंट पार्टनर के तौर पर केयर इंडिया के तबरेज आलम भी उपस्थित थे।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar