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एक ही गांव में कालाजार के छह मरीज मिलने पर स्वास्थ्य विभाग गंभीर
-विदेश से एक्सपर्ट बुलाकर गांव में कराई जा रही है जांच
-विदेशी एक्सपर्ट के साथ मिलकर सिविल सर्जन ने की बैठक
भागलपुर-
कहलगांव प्रखंड के कैरिया पंचायत के शक्ति महागामा गांव के मुसहर टोला में मई से सितंबर तक कालाजार के छह मरीज मिल चुके हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। गांव की जांच के लिए विदेश से एक्सपर्ट बुलाए गए हैं। केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक और विदेश से आए एक्सपर्ट डॉ. ऐना फ्रेंको ने गांव का दौरा भी किया। एक्सपर्ट ने अभी वहां पर बालूमक्खी को पकड़ने की बात कही है। इसके बाद बालूमक्खी की भी जांच की जाएगी। साथ ही गांव के तीन से अधिक उम्र के सभी लोगों के ब्लड सैंपल भी जांच के लिए जाएंगे।
सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने कहा कि जिले को कालाजार से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। एक ही गांव से छह मरीजों का मिलना गंभीर मामला है। इसे लेकर जांच चल रही है। जांच के परिणाम निकलने के बाद एहतियातन कदम उठाए जाएंगे। साथ ही आगे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि गांव में कोई भी कालाजार के मरीज नहीं निकले। केयर इंडिया के डीपीओ मानस नायक ने बताया कि गांव में सितंबर में सिंथेटिक पायराथायराइड के छिड़काव के बाद से एक भी मरीज नहीं निकला है, लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम सतर्क है। अभी विदेश से आए एक एक्सपर्ट मामले की जांच कर रहे हैं कि आखिर क्या कारण है कि एक ही गांव के एक टोला से इतने मरीज निकल रहे हैं। आगे दो और विदेशी एक्सपर्ट आकर मामले की जांच करेंगे।
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ. कुंद भाई पटेल ने बताया कि कालाजार से बचाव को लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। लोगों को भी सतर्क रहना चाहिए। लोग घरों के आसपास पानी नहीं जमने दें। यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें किरासन तेल डालें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं, साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनायें व शरीर पर मच्छररोधी क्रीम लगाएं। कालाजार को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव करने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखें।
कालाजार की ऐसे करें पहचान: डॉ. पटेल ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। दरअसल, यदि किसी संक्रमित व्यक्ति को बालूमक्खी काट लेती है और वह फिर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो इस तरह से स्वस्थ व्यक्ति भी चपेट में आ जाता है। इस लिहाज से यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा की परत भी सूखकर झड़ते हैं। उन्होंने बताया कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar