एईएस/जेई से बचाव: उचित प्रबंधन और तैयारी को ले प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी व स्वास्थ्यकर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण : प्रभारी सिविल सर्जन 

 
 
- एईएस का एक भी केस होने के बाद तत्काल की जाएगी जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना : डीभीबीडी कंट्रोल ऑफिसर 
 
- सदर अस्पताल में एईएस/जेई पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 
 
मुंगेर, 8 अप्रैल-
एईएस/जेई से बचाव के लिए सही प्रबंधन और तैयारी को ले प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उक्त बात शुक्रवार को प्रशिक्षण शिविर में स्वास्थ्य संस्थानों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी और  स्वास्थ्य कर्मियों को सम्बोधित करते हुए  प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि एईएस/जेई मुजफ्फरपुर सहित अन्य कई जिलों में मुख्य रूप से एक्टिव है। लेकिन यह अन्य जिलों में भी एक्टिव हो सकता है। हालांकि मुंगेर में अभी तक एईएस/जेई का कोई भी केस डिटेक्ट नहीं हुआ है । कहा कि एईएस से बचाव के लिए किए जाने वाले प्रबंधन और तैयारी के प्रति जागरुकता अभियान के तहत आप लोगों को बुलाया गया है। 
 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि एईएस पर सरकार काफी जोर दे रही है। अभी एईएस का मौसम है। इस मौसम में एईएस के काफी मामले देखने को मिलते हैं। हालांकि मुंगेर  में आज तक एईएस का एक भी केस डिटेक्ट नहीं हुआ है। हम सालों से यहां कार्यरत हैं, यहां आज तक इस बीमारी का कोई मरीज नहीं मिला है। बावजूद इसके यदि मुंगेर में एईएस/जेई का एक भी केस डिटेक्ट होता है तो उससे निपटने के लिए हमलोग पूरी तरह से तैयार हैं। इसके लिए प्रभारी सिविल सर्जन से बात कर बेड सहित तमाम आवश्यक तैयारियां कर ली गई हैं। इसके बाद जिला एईएस कंट्रोल रूम की भी स्थापना कर ली जाएगी और इसके माध्यम से मॉनिटरिंग की जाएगी। 
 
मेडिकल ऑफिसर और स्टाफ को एईएस की ट्रेनिंग दे रहे जिला फाइलेरिया पदाधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि मैंने राजधानी पटना स्थित पीएमसीएच में एईएस/जेई पर आयोजित राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने बताया कि एईएस/जेई को लेकर बिहार सरकार के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) को लेकर मेडिकल ऑफिसर को सेंसिटाइजड किया जा रहा है। हालांकि अभी तक मुंगेर में एईएस/जेई का कोई केस डिटेक्ट नहीं हुआ बावजूद इसके यदि कोई केस डिटेक्ट होता है तो सदर हॉस्पिटल से लेकर पीएचसी लेवल पर इस बीमारी से बचने के लिये क्या तैयारी करनी है, बेहतर इलाज के लिए किस प्रकार का प्रबंधन करना है, इस दौरान क्या सावधानी बरतनी है, इसको लेकर  डॉक्टर्स की क्या रिवाइज्ड एसओपी होगी इसको लेकर विस्तार पूर्वक जानकारी दी जा रही है। 
इस अवसर ओर डब्ल्यूएचओ के रीजनल कोऑर्डिनेटर डॉ. एजिला हसन, डिस्ट्रिक्ट वेक्टर डिजीज कंट्रोल ऑफिसर संजय विश्वकर्मा, डिस्ट्रिक्ट वेक्टर बोर्न डिजीज कंस्लटेंट पंकज कुमार प्रणव, डीसीएम निखिल राज सहित स्वास्थ्य विभाग के कई पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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