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जीविका दीदियों को टीबी से बचाव की दी गई जानकारी
-सबौर के खानकित्ता में ट्रेनिंग का किया गया आयोजन
-जीविका के 10 ग्राम संगठनों ने ट्रेनिंग में लिया भाग
भागलपुर, 6 जून-
स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटका हेल्थ प्रमोशनल ट्रस्ट (केएचपीटी) ने सोमवार को सबौर प्रखंड के खानकित्ता में सामुदायिक स्तर पर टीबी को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जीविका दीदियों को ट्रेनिंग देने की शुरुआत की। ट्रेनिंग दो दिनों तक चलेगी। पहले दिन सोमवार को जीविका के कुल 10 ग्राम संगठनों को ट्रेनिंग दी गई। इसमें इंग्लिश, चंधेरी और फरका गांव के 26 सदस्यों ने भाग लिया। ट्रेनिंग देने का काम श्वेता कुमारी और संदीप कुमार ने किया। मौके पर प्रदीप कुमार, मिथिलेश कुमार, अनिता भारती, रिंकु कुमारी और सावित्री देवी उपस्थित थीं।
ट्रेनिंग के दौरान जीविक दीदियों को बताया गया कि सामुदायिक स्तर पर आपलोग लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करें। टीबी के प्रति समाज में जो भ्रम है, उसे दूर करना बहुत जरूरी है। इसमें आपलोग बहुत कारगर साबित हो सकती हैं। लगातार दो हफ्ते तक खांसी, खांसी के दौरान बलगम के साथ खून आना, शाम को बुखार के साथ पसीना आने के लक्षण अगर किसी में दिखे तो उसे तत्काल टीबी जांच कराने की सलाह दें। समाज के लोगों को समझाएं कि टीबी के प्रति भेदभाव करने के बजाय उसका इलाज करवाएं। सरकारी स्तर पर टीबी का मुफ्त में इलाज होता है। साथ ही पोषण के लिए टीबी मरीजों को एक निश्चित राशि भी दी जाती है।
केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने लोगों को बताया कि लगातार दो हफ्ते खांसी होना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना, शाम के वक्त अधिक पसीना आना आदि लक्षण टीबी के हैं। इस तरह की परेशानी होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में जाएं और जांच करवाएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि हो जाती है तो तत्काल इलाज करवाएं। टीबी के इलाज की व्यवस्था सरकार की तरफ से मुफ्त में होता है। साथ टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार लेने के लिए 500 रुपये प्रतिमाह सहायता राशि भी मिलती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण में समुदाय के लोग शामिल रहे। इनकी बातों को लोग ज्यादा गौर से सुनेंगे औऱ इसका असर पड़ेगा। लोगों में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
टीबी मरीजों से नहीं करें भेदभावः सीडीओ डॉ. दीनानाथ ने कहा कि पहले टीबी बीमारी के प्रति छुआछूत अधिक थी, लेकिन जागरूकता बढ़ने से इसमें कमी आई है। टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, लेकिन इसका इलाज संभव है। अगर कोई टीबी के लक्षण वाले लोग दिखते हैं तो उससे घृणा करने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करें। ऐसा करने से मरीज का इलाज समय पर हो जाएगा और वह ठीक हो जाएगा। उसके ठीक होने से इसका संक्रमण दूसरों में भी नहीं होगा। साथ ही टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने की आशंका रहती है। एमडीआर टीबी होने पर ठीक होने में ज्यादा समय लग जाता है। इसलिए बीच में दवा नहीं छोड़ें।
टीबी को हल्के में नहीं लेना चाहिएः डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar