गुलाबी ठंड में शिशुओं की सेहत का रखें ध्यान



- नियमित स्तनपान, मालिश और स्वच्छता जरूरी

- गले के घरघराने, सांस लेने में परेशानी और गंभीर रूप से हो खांसी तो डॉक्टर से लें परामर्श


मुंगेर , 01 नवंबर। छठ महापर्व के समाप्त होने के साथ ही जिला  में गुलाबी ठंड ने भी अपनी दस्तक दे दी है। इस बदलते मौसम में दोपहर में तेज गर्मी या अहले सुबह ठंड का एहसास होता है। इस मौसम में शिशुओं व छोटे बच्चों के स्वास्थ्य लेकर विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। दरअसल बच्चों  में  रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक  होने के बावजूद  भी  वो अधिक तेजी से बीमार पड़ते  और अक्सर सर्दी जुकाम तथा बुखार से पीड़ित हो जाते हैं। विभिन्न मौसमी बीमारी से बचाव के लिए बच्चों के खानपान पर पूरा ध्यान देते हुए साफ - सफाई पर भी पूरा ध्यान देना आवश्यक है।


ठंड से होने वाले संक्रमण का रखें ध्यान : 

मुंगेर के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि मौसम के सर्द गर्म होने का असर शिशुओं पर बहुत तेजी से पड़ता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) का स्तर कम होने से उन्हें संक्रमण का अधिक खतरा होता है। ठंड के कारण अक्सर रात में सोते समय शिशु के गले से घरघराने की आवाज, गंभीर रूप से खांसने, सांस लेने में परेशानी देखी जाती है। यदि ऐसा होता है तो तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेने की आवश्यकता है। ठंड की शुरुआत के साथ ही बच्चों को तेल की मालिश करनी  बहुत ही फायदेमंद होती है। गुनगुने सरसो  या जैतून के तेल की रोजाना मालिश की  जानी  चाहिए। रात को ध्यान रखें कि छोटे बच्चों सहित शिशुओं के बिस्तर  गर्म हों। रात में शिशुओं के बिस्तर की जांच करते रहें। कई बार शिशु बहुत अधिक पेशाब करते  और डायपर गीला होने के कारण भी ठंड लगने की शिकायत होती है। . इसलिए नियमित रूप से डाइपर बदलते रहें । 


नहलाने के बाद जरूर करें तेल की मालिश : 

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ.  राजेश कुमार रौशन ने बताया कि परिजन बच्चों व शिशुओं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हुए उन्हें गुनगुने पानी से दो से तीन दिनों के अंतराल पर बंद जगह पर ही नहलायें। नहलाने के बाद थोड़ी देर धूप में बिठायें। शरीर को अच्छी तरह पोछकर दस से 15 मिनट तक मालिश करें। इससे शरीर की मांसपेशियां और जोड़ मजबूत होते  और शरीर का तापमान बना रहता है। नहलाने के बाद बच्चों को खुला बदन नहीं रहने दें। मालिश हमेशा नीचे से ऊपर  की तरफ करें। ऐसा करने से खून के दौरे को दिल की तरफ ले जाने में मदद मिलती है। ध्यान रखें कि शिशु को तुरंत भोजन कराने के बाद मालिश बिल्कुल नहीं हो। इससे बच्चे को उल्टी की आशंका होती है। चूंकि गुलाबी ठंड के दौरान कभी गर्मी तो कभी ठंड का एहसास होता है इसलिए रातों में कमरे का तापमान सामान्य रखें। बहुत अधिक तेज पंखा या कूलर के इस्तेमाल से बचें। ना तो कमरा बहुत अधिक गर्म हो और ना ही बहुत अधिक ठंडा। बिस्तर से लगी खिड़कियों को बंद रखें।  शिशु को रातों में हल्के कपड़े पहनाकर सुलायें। सर्दी खांसी या बुखार से पीड़ित लोगों से बच्चों को थोड़े समय के लिए अलग रखें। शिशुओं के आसपास खांसने या छींकने से परहेज करें। 


बच्चों को नियमित रूप से करायें स्तनपान :  

जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजी ने बताया कि माताएं शिशुओं को अधिक से अधिक बार नियमित स्तनपान कराती रहें। यदि शिशु ने अनुपूरक आहार लेना शुरू कर दिया है तो उसे ताजा बना भोजन ही दें। उसके भोजन में मौसमी सब्जियां, दाल, अंडा, मांस आदि शामिल करें। बच्चों के भोजन में विटामिन सी वाले फल शामिल करें।  इसके साथ ही बच्चों के नियमित सभी टीकाकरण अवश्य करायें। बच्चों को देर शाम या अहले सुबह बाहर ले जाने से बचें। यदि कफ या नाक बंद होने की समस्या हो रही हो तो चिकित्सीय परामर्श के साथ दवाई दी जानी चाहिए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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