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बच्चों में रूमैटिक फीवर की करें पहचान, ह्रदय रोग का बनता है कारण
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- Jun 19, 2020
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स्ट्रोप्टोकोकल बैक्ट्रीरिया के संक्रमण से होता है रूमैटिक फीवर
संक्रमण का फैलाव भीड़ भाड़ वाली जगहों से होता है अधिक
बच्चों को व्यक्तिगत सफाई व हाथों को धोने की दिलायें आदत
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत है इलाज की सुविधाएं
लखीसराय, 19 जून: बच्चों में होने वाली कई संक्रामक बीमारियां बहुत अधिक गंभीर होती हैं. संक्रमण का असर लंबे समय में दिखता है. सामान्य बीमारियों जैसे मौसमी सर्दी खांसी से अलग कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनके लक्षणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. इनमें से एक रूमैटिक हर्ट डिजीज है जिसका सीधा संबंध रूमैटिक फीवर से है. यह बुखार बच्चों के ह्रदय की मांसपेशियों को बहुत अधिक प्रभावित करता है.
रूमैटिक ह्रदय रोग रुमैटिक फीवर के कारण होने वाली समस्या है. इस बीमारी में ह्रदय का वाल्व क्षतिग्रस्त हो जाता है. स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण गले में संक्रमण होता है. इस संक्रमण से बुखार आने लगता है. शरीर खासतौर पर ह्रदय व मस्तिष्क सहित त्वचा और जोड़ों आदि से जुड़े उत्तक प्रभावित होने लगते हैं. यह 5 से 14 साल तक की उम्र के बच्चों में होता है. हालांकि इस उम्र से कम बच्चों व व्यस्कों में भी इस रोग के होने की संभावना होती है. इस बुखार की वजह से शरीर का इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है. शरीर के स्वस्थ्य उत्तकों को नष्ट करते हुए यह बुखार ह्रदयाघात यानी हर्ट फ्लेयोर की भी वजह बनता है.
इन लक्षणों पर रखें नजर:
रुमेटिक फीवर के लक्षण भिन्न भिन्न हो सकते हैं. बच्चों में इस तरह के लक्षण हमेशा दिखने पर इसे चिकित्सक के संज्ञान में लाना जरूरी है.
• गले में खराश व तेज बुखार
• लिम्फ नोड का फूलना
• नाक से गाढ़ा खून आना
• जोड़ों में दर्द ओर सूजन
• पेट में दर्द व सांस फूलना
• त्वचा पर रैशेज होना
• शारीरिक संतुलन खोना
• छाती में दर्द
• जी मिचलाना व उल्टी
• हाथ-पैरों में कंपन
• कंधे में झटके लगना
सावधानी बरतना भी है जरूरी:
रूमेटिक फीवर स्ट्रोप्टोकोकल बैक्ट्रीरिया के संक्रमण से होता है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल सकता है. संक्रमण का यह फैलाव भीड़ भाड़ वाली जगहों आदि के कारण सबसे अधिक होता है. इसे फैलने से रोकने के लिए हाथ धोने व संक्रमित व्यक्ति की पहचान होने पर उससे दूर रहना जरूरी है.
आरबीएसके का लाभ लें करायें इलाज:
सिविल सर्जन डॉ आत्मानंद राय ने बताया राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत रूमेटिक फीवर के कारण ह्रदय व ह्रदय वाल्व से जुड़ी समस्या के इलाज की व्यवस्था है. इसके अलावा कार्यक्रम के तहत बाल्यावस्था में होने वाली 6 विभिन्न रोगों जिनमें चर्म रोग, ओटाइटिस मीडिया, रिएक्टिव एयरवे रोग, दंत क्षय व आपेक्षी विकार आदि शामिल हैं, इलाज किया जाता है. बच्चों के जन्म से जुड़ी समस्याओं, रोगों, उनके विकास में देरी सहित विकलांगता जैसी शारीरिक समस्याओं का इलाज कर बच्चों के जीवन स्तर पर सुधार लाने के लिए व्यापक देखभाल की जाता है
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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