गर्भवती महिलाओं में एनीमिया खतरनाक, जच्चा बच्चा की जान को रहता है खतरा

स्टिल बर्थ की वजहों में से एक है एनीमिया, बढ़ जाती है प्रसव संबंधी जटिलता

 

लखीसराय, 3 जुलाई: कोरोना संकटकाल ने दूसरी आवश्यक स्वास्थ्य मुद्दों से हमारा ध्यान खींचा है. लेकिन इस समय में संक्रमण से बचाव के साथ साथ हमें अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की ओर भी से सजग रहना है. इनमें गर्भवती महिलाओं से जुड़ी समस्याएं व जटिलताएं शामिल हैं जिसका ससमय प्रबंधन आवश्यक है. इनमें से एक है जो एनीमिया गर्भवती महिलाओं की प्रमुख व आम समस्या है. 

 

एनीमिया के दुष्प्रभाव को जानना जरूरी: 

खून में आयरन यानि लौह तत्व की कमी एनीमिया कहलाता है. रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाने पर शरीर में ऑक्सीज़न का प्रवाह बाधित होता है. गर्भवती महिलाओं में एनीमिया, प्रसव के दौरान या इसके बाद कई जटिलताओं व जोखिम को जन्म देता है. जैसे समय से पूर्व प्रसव का दर्द, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, कमजोर शिशु, मृत शिशु का जन्म व विकलांगता तथा नवजात की मृत्यु जैसे खतरे बढ़ जाते हैं. इसके साथ ही गर्भावस्था में संक्रमण का भी खतरा रहता है. परजीवी संक्रमण जैसे मलेरिया, डेंगू या हुक वर्म आदि के कारण भी शरीर में खून की भारी कमी हो जाती है. इसलिए बीमारियों से बचाव करना भी गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है. 

 

पौष्टिक आहार व आयरन गोली हैं कारगर:

सिविल सर्जन डॉ आत्मानंद राय ने बताया गर्भवती महिला का हर माह प्रसव पूर्व जांच आवश्यक है. ताकि एनीमिया का पता लगाया जा सके. एनीमिया के हल्के प्रभाव को पौष्टिक आहार से पूरा किया जा सकता है. जबकि गंभीर एनीमिया के लिए दवाईयों का इस्तेमाल होता है. गंभीर एनीमिया का तुरंत उपचार जरूरी है. अन्यथा जोखिम बहुत अधिक होता है. गंभीर एनीमिया थैलीसिमिया, सिकल सेल, आंत के संक्रमण व दूसरी अन्य बीमारियों की भी वजह बनता है. पालक, हरी सब्जी व मछली, दूध व अंडा आदि का नियमित सेवन शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ाता है. गर्भावस्था में बहुत अधिक चाय व कॉफी के सेवन से बचना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को अच्छी नींद लेनी चाहिए. गुड़ और चना का सेवन काफी लाभप्रद होता है. इसके साथ चुकंदर, सूखे मेवे व मौसमी फल जरूर लें.  

 

ये लक्षण दिखें तो रहें सर्तक: 

• थकान व कमजोरी का एहसास

• सांस फूलना

• ह्रदय धड़कन तेज होना 

• सिरदर्द व चिड़चिड़ापन

• होंठ का सूखना व फीकापन

• भूख कम होना 

• पैरों में दर्द व ऐंठन

 

सुरक्षित मातृत्व योजना का लें लाभ:

सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व जांच आवश्यक है. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती माताओं की प्रत्येक माह 9 तारीख को प्रसव पूर्व जांच प्रत्येक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाती है. यहां होने वाले सभी जांच निशुल्क: होते हैं. साथ ही गर्भवती को आवश्यक आयरन व फॉलिक एसिड की गोली दी जाती है. उनके खानपान को लेकर परामर्श दिया जाता है. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की भी मदद ली जा सकती है. जिसके तहत पहली बार बन रही गर्भवती महिलाओं को समय पर टीकाकरण के लिए खाते में 6000 रुपये भेजे जाते हैं. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र की आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं से संपर्क कर सकते हैं.

रिपोर्टर

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