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नवजात के रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर रहें सजग,शारीरिक परेशानी से रहेंगे दूर
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- Mar 09, 2021
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- मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से करता है बचाव
- जन्म के बाद छः माह तक सिर्फ कराएं नवजात को माँ का स्तनपान, विकसित होगा रोग-प्रतिरोधक क्षमता
खगड़िया-
नवजात का स्वस्थ और मजबूत शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान नवजात की माँ का ही होता है। किन्तु, इसमें थोड़ी सी लापरवाही से नवजात बार-बार बीमार होने लगता है। जिससे वह शारीरिक रूप से भी बेहद कमजोर होने लगता है। बार-बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का भी बड़ा संकेत है। इसलिए, जन्म के बाद शुरुआती दौर में नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य देखभाल को लेकर पूरी सजग रहें। ताकि नवजात स्वस्थ रहे और आगे भी उसके स्वस्थ शरीर का निर्माण हो। इसके लिए नवजात की उचित देखभाल के साथ-साथ जन्म के बाद छः माह तक नवजात को सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।
- माँ के दूध से बच्चों में विकसित होती रोग-प्रतिरोधक क्षमता :-
खगड़िया सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजीव कुमार ने बताया कि उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक स विकास होगा और बच्चे स्वस्थ्य रहेंगे। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही दूध सेवन कराएं। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है और स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है। जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। वहीं, छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें।
- मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी करता है बचाव :-
मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी बचाव करता है। इसलिए, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरूआती दौर से ही सजग रहें। शुरूआती दौर में ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा। इसके उचित पोषण बेहद जरूरी है।
- जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को पिलाएं माँ का दूध :-
नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद एक घंटे के अंदर नवजात को माँ का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझ नवजात को नहीं पिलाते है। जो महज एक अवधारणा है। जबकि, सच यह है कि माँ का पहला गाढ़ा-पीला दूध नवजात के लिए काफी फायदेमंद होता है।
- छः माह के बाद ही नवजात को दें उपरी आहार :-
नवजात को छः माह के बाद किसी प्रकार का बाहरी या ऊपरी आहार दें। छः माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराएं। इसके अलावा कम से कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार एवं माँ का स्तनपान भी जारी रखें। ताकि बच्चे के सर्वांगीण विकास होने में मदद मिल सके ।
- साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल :-
नवजात के लालन-पालन के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। जैसे कि बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं, गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे बच्चे संक्रामक बीमारी से दूर रहेगा।
- संम्पूर्ण टीकाकरण पर दें बल :-
संम्पूर्ण टीकाकरण बच्चे को कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है और बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसलिए, बच्चे का संम्पूर्ण टीकाकरण कराएं। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बिलकुल नहीं करें।
- इन मानकों का करें पालन, कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :-
- मास्क और सैनिटाइजर का नियमित रूप से उपयोग करें।
- लगातार साबुन या अल्कोहल युक्त पदार्थों से हाथ धोएं।
- सफर के दौरान हमेशा सेनेटाइजर पास में रखें।
- बाहर में लोगों से बातचीत के दौरान आवश्यक दूरी का ख्याल रखें।
- भीड़-भाड़ वाले जगहों से परहेज करें।
- मुँह, नाक, ऑख को अनावश्यक छूने से बचें।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar