ब्लैक फंगस के प्रति जागरूकता को ले केंद्र सरकार ने जारी की एडवाइजरी



- कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस या म्यूकर माइकोसिस से चेहरे, नाक, साइनस आंख और दिमाग को पंहुच रहा है नुकसान 


- पूरे देश के साथ ब्लैक फंगस ने बिहार में शुरू कर दिया है पैर पसारना 



मुंगेर, 17 मई -

  देश भर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच एक दूसरी बीमारी ब्लैक फंगस ने भी अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। बिहार भी इससे अछूता नहीं है। राज्य भर में अभी तक ब्लैक फंगस के संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 40 के करीब पहुंच गई है। हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। इसी बीच केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। 


जिला स्वास्थ्य समिति मुंगेर के जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजि ने बताया कि ब्लैक फंगस के प्रति लोगों को जगरूक करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के द्वारा एक एडवाइजरी जारी की गई है। जिले में अभी तक ब्लैक फंगस से संक्रमित कोई भी मरीज नहीं है फिर भी जिले वासियों को ब्लैक फंगस के बारे में सही और पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि लोग  सावधानी बरतकर कर खुद को इस बीमारी  से दूर कर सके। 


उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माइको सिस की वजह से चेहरे , नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देता है। 


किसे हो सकता है ब्लैक फंगस ? 

1. वैसे लोग जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान स्टेरॉइड की दवा जैसे डेक्सामिथाज़ोन, मिथाइल पेडनिसोलोन इत्यादि लिया हो। 

2. वैसे कोविड मरीज जिन्हें इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर या आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया हो। 

3. वैसे लोग जिनका डायबिटीज पर अच्छा नियंत्रण न हो। 

4. वैसे लोग जिनका कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो। 

क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण ? 

1. चेहरे पर एक तरफ दर्द होना, सूजन या सुन्न होना ( छूने पर छूने का एहसास नहीं होना )

2. दांत में दर्द होना, दांत का हिलना, खाना चबाने पर दांत में दर्द होना। 

3. उल्टी या खांसने पर बलगम का आना । 


क्या करें ? 

उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य आंख- - गला, कान मेडिसिन चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखलाकर अपना इलाज शुरू कराएं। 


ब्लैक फंगस से बचने के लिए बरतें कुछ सावधानियां : 

उन्होंने बताया कि स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर, दोस्त, मित्र रिश्तेदार के कहने पर स्टेरॉयड दवा जैसे डेक्सोना , मेड्रॉल आदि का कतई इस्तेमाल नहीं करें।


- स्टेरॉयड दवा का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं वो भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों के बाद केवल गम्भीर मरीजों को ही देते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टर इससे पहले भी बहुत सारी   आवश्यक जांच करते हैं और रिपोर्ट से संतुष्ट होने के बाद ही इन दवाओं का प्रयोग काफी सावधानी पूर्वक करते हैं। 


- लक्षण के पहले 5 से 7 दिन में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। इसलिए बीमारी के शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू नहीं करें । इससे बीमारी बढ़ भी सकती है। 


- इलाज से पहले डॉक्टर से पूछे कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है । यदि है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही है ? स्टेरॉयड शुरू होने के बाद विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट