बेगुसराय में ‘संवर्धन’ कार्यक्रम अति गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने में बनेगा सूत्रधार



लगभग 90 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से हो सकते हैं स्वस्थ

अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की संभावना सर्वाधिक

राज्य के 5 महत्वाकांक्षी जिलों के 396 आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे होंगे लाभान्वित

आई.सी.डी.एस. एवं स्वास्थ्य विभाग की पहल

पिरामल स्वास्थ्य एवं यूनीसेफ सहित स्टेट सेंटर फॉर एक्सिलेंस (पीएमसीएच) एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा देंगे सहयोग 


बेगुसराय-



कोरोना महामारी ने लोगों के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित किया है. एक तरफ स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संचालन में चुनौतियाँ बढ़ी तो दूसरी तरफ कोरोना के कारण गरीब तपके के लोगों की आर्थिक स्थिति भी खराब हुयी. जिसके कारण गरीब परिवारों में बच्चों को पौष्टिक आहार खिलाना एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी. एक अनुमान के अनुसार कोविड के कारण कुपोषण लगभग 15 फीसद बढ़ने की आशंका जताई गयी है. इन विपरीत परिस्थितियों में अति गंभीर कुपोषित बच्चों की बेहतर देखभाल की जरूरत बढ़ी है जिसे अब ‘संवर्धन’ कार्यक्रम के तहत सुधारने की पहल की जा रही है. राज्य के 5 महत्वकांक्षी जिलों में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है.

 

सिर्फ 10-15 फीसद अति गंभीर कुपोषित बच्चों को संस्था आधारित देखभाल की होती है जरूरत: 


पोषण अभियान की नोडल पादधिकारी श्वेता सहाय ने कहा कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ करने के लिए उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्रों(एनआरसी) में भेजा जाता है. लेकिन एक अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि केवल 10-15 फीसद ही अति-गंभीर कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भेजने की जरूरत है. वहीं, लगभग 90 फीसद बच्चे समुदाय आधारित देखभाल से ही स्वस्थ हो सकते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए संवर्धन कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है, जिसमें अति गंभीर कुपोषित बच्चों को समुदाय आधारित देखभाल प्रदान की जाएगी. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वेस्टिंग( लंबाई के अनुसार वजन) की पहचान, रोकथाम, प्रबन्धन और बच्चों के भोजन की गुणवत्ता को बढ़ाना है. साथ ही सामुदायिक देखभाल और कुपोषण के प्रबंधन को राज्य के 5 आकांक्षी जिलों (अररिया, सीतामढ़ी, शेखपुरा, कटिहार एवं बेगूसराय) के 66 प्रखंडों के 396 आंगनबाड़ी केन्द्रों में संवर्धन मॉडल को मजबूत करना है. इस कार्यक्रम के तहत 6 माह से 59 माह के बच्चों को लाभ मिलेगा. वहीं, बेगुसराय सदर सीडीपीओ पूजा रानी ने बताया, यह कार्यक्रम कुपोषणमुक्त जिला का निर्माण के सबसे बेहतर कदम है और समाहित में सरकार का बेहतर कदम है. 


अति गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की संभावना सर्वाधिक: 


यूनिसेफ के पोषण विशेषज्ञ रवि नारयण परही ने कहा कि भारत ने एसडीजी( सतत विकास लक्ष्यों) के तहत 2025 तक वेस्टिंग में 5 फीसद तक लाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. वर्तमान में एन.एफ.एच.एस.-5 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में वेस्टिंग 22.9% है. साथ ही राष्ट्रीय पोषण मिशन के लक्ष्य के तहत बच्चों में अल्पपोषण प्रति वर्ष 2 फीसद और एनीमिया के प्रसार को 3 फीसद प्रति वर्ष कम करना है. देश में किये गये विभिन्न अनुसंधानों से इस बात की पुष्टि होती है कि समुदाय आधारित देखभाल बच्चों में कुपोषण से होने वाली मृत्यु की संभावना को कम करता है. बिहार के पूर्णिया जिले के कृत्यानंद नगर प्रखंड में किये गये पायलट परियोजना से भी इस बात की पुष्टि होती है. यह अतिकुपोषित बच्चों के समुदाय आधारित देखभाल कार्यक्रम की अधिक जरूरत को इंगित करता है. 


3 विभाग मिलकर करेंगे वार, गैर-सरकारी संस्था भी करेंगे सहयोग: 


संवर्धन कार्यक्रम को सफ़ल बनाने के लिए आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग मिलकर कार्य करेंगे. स्वास्थ्य विभाग दवाओं की उपलब्धता, वीएचएसएनडी सत्र पर अति गंभीर कुपोषित बच्चों का पंजीकरण और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना एवं एनआरसी से छुटे बच्चों को समुदाय आधारित देखभाल से जोड़ने का कार्य करेगी. वहीं, आईसीडीएस शत प्रतिशत बच्चों की स्क्रीनिंग, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वृद्धि निगरानी उपकरणों की उपलब्धता, टीएचआर का वितरण एवं घर पर उर्जायुक्त भोजन बनाये जाने को बढ़ावा देने जैसे कार्यों को करेगी. 


पिरामल स्वास्थ्य के राज्य परिवर्तन प्रबंधक देबाशीष सिन्हा ने बताया कि संवर्धन कार्यक्रम को सफल बनाने में पिरामल स्वास्थ्य, यूनिसेफ, स्टेट सेंटर फॉर एक्सिलेंस(पीएमसीएच), डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा एवं नेशनल सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस(केएससीएच) सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संवर्धन कार्यक्रम 5 चरणों में आगे बढ़ेगा जिसमें कार्यक्रम का जिला स्तरीय शुभारम्भ, क्षमतावर्धन प्रशिक्षण, दवाओं एवं लोजिस्टिक्स की व्यवस्था, चयनित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यक्रम का क्रियान्वयन तथा कार्यक्रम का पर्यवेक्षण, रिपोर्टिंग एवं समीक्षा शामिल होंगे. पिरामल स्वास्थ्य के राज्य पोषण विशेषज्ञ परिमल झा ने बताया कि सभी जिलों में शुभारम्भ एवं जिला स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है जो जुलाई माह तक खत्म हो जाएगा, इसके अगले चरण में महिला पर्यवेक्षिका, पोषण अभियान के प्रखंड समन्वयक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक एवं आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जायेगा.


कार्यक्रम के 10 चरण साबित होगा संजीवनी: 

संवर्धन कार्यक्रम को कुल 10 चरणों में संपादित किया जाएगा, जिसमें सामुदायिक मोबिलाईजेशन एवं सभी बच्चों की पोषण स्थिति का आंकलन, चिकित्सीय जाँच, भूख की जाँच, अति गंभीर कुपोषित बच्चों के प्रबंधन के तरीके, दवाइयां, पोषण, पोषण -स्वास्थ्य शिक्षा, संवर्धन कार्यक्रम के दौरान पोषण की निगरानी, संवर्धन कार्यक्रम से छुट्टी देने के बाद फोलोअप शामिल है. साथ ही समुदाय आधारित देखभाल को मजबूती देने के लिए आरोग्य दिवस, घर पर बच्चों की देखभाल एवं गृह भ्रमण में सेविका एवं आशा द्वारा दी जाने वाली परामर्श को मजबूत किया जाएगा.

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Dr. Rajesh Kumar

संबंधित पोस्ट