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कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए शिशु को डायरिया- निमोनिया से बचाने को नियमित स्तनपान जरूरी
- शिशु का जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान करना बनेगा जीवन का वरदान
लखीसराय-
कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की काफी आवश्यकता है। इसके लिए शिशुओं के पोषण का खास ख्याल रखा जाना काफी जरूरी है। शिशुओं के लिए आधारभूत पोषण में स्तनपान मुख्य रूप से शामिल है। बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी है। माँ के दूध के अलावा 6 महीने तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है। स्तनपान कराने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होने के साथ वह कई अन्य रोगों से सुरक्षित भी रहते हैं। डायरिया एवं निमोनिया जैसे रोग भी नियमित स्तनपान के कारण बच्चों पर हावी नहीं हो पाते हैं।
निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार भारती ने बताया डायरिया व निमोनिया से बचाव में स्तनपान बहुत ही कारगर है। माँ के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाते हुए बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तनपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही की जाए| साथ ही माँ को स्तनपान की स्थिति, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी नर्स द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये।
बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का ही दूध दिया जाना चाहिए
उन्होंने बताया कि यदि बच्चे को जन्म के पहले एक घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का ही दूध दिया जाना चाहिए और इसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि 6 माह तक केवल स्तनपान सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में काम करता है। बच्चे को हर डेढ़ से दो घंटे में भूख लगती है। इसलिए बच्चे को जितना अधिक बार संभव हो सके माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। माँ का शुरुआती दूध कम होता है लेकिन वह बच्चे के लिए पूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा है और वह बाहरी दूध देना शुरू कर देती हैं जो कि एक भ्रांति के अलावा और कुछ भी नहीं है। माँ के दूध में भरपूर पानी और पोषक तत्व होते हैं इसलिए बच्चे को बाहर का कुछ देने की जरूरत नहीं होती।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar