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कोरोना संक्रमण के बीच शिशु को बीमारियों से बचाने के लिए नियमित स्तनपान के साथ सही पोषण भी जरूरी
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- Jul 28, 2021
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- शिशु के जन्म के पहले एक घंटे में स्तनपान कराने से शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है मजबूत
मुंगेर, 28 जुलाई-
कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के बीच छोटे- छोटे बच्चों के लिए माता का नियमित स्तनपान अति आवश्यक है। इसके साथ ही छह महीने की आयु पूरा कर लिए बच्चों के लिए मां के नियमित स्तनपान के साथ सही पोषण के लिए अनुपूरक आहार के रूप में हल्का भोजन भी दिया जाना आवश्यक है। इससे बच्चों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है। मालूम हो कि शिशुओं के लिए आधारभूत पोषण में स्तनपान मुख्य रूप से शामिल है। बच्चे के सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए माँ का दूध जरूरी है। माँ के दूध के अलावा छ्ह महीने तक के बच्चे को ऊपर से पानी देने की भी जरूरत नहीं होती है क्योंकि मां के दूध में शिशु के लिए आवश्यक पानी की मात्रा मौजूद रहता है। स्तनपान कराने से बच्चे में मां के प्रति भावनात्मक लगाव पैदा होता है और उसे यह सुरक्षा का बोध भी कराता है।
निमोनिया- डायरिया से बच्चों को बचाने के लिए शुरुआती स्तनपान जरूरी :
केयर इंडिया कि डीटीओएफ डॉ. नीलू ने बताया कि डायरिया व निमोनिया से बचाव में स्तनपान बहुत ही कारगर है। माँ के दूध की महत्ता को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यह सुनिश्चित कराया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाते हुए बच्चे को माँ की छाती पर रखकर स्तनपान की शुरुआत लेबर रूम के अंदर ही कराने के लिए बताया जाता है। इसके अलावे माँ को स्तनपान की स्थिति, बच्चे का स्तन से जुड़ाव और माँ के दूध निकालने की विधि को समझाने में भी नर्स द्वारा पूरा सहयोग किया जाता है ताकि कोई भी बच्चा अमृत समान माँ के दूध से वंचित न रह जाये।
माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
एनआरसी मुंगेर की फीडिंग डिमोस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि यदि बच्चे को जन्म के पहले एक घंटे के अंदर माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाया जाये तो ऐसे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। बच्चे को छ्ह माह तक लगातार केवल माँ का ही दूध दिया जाना चाहिए और इसके साथ किसी अन्य पदार्थ जैसे पानी, घुट्टी, शहद, गाय अथवा भैंस का दूध नहीं देना चाहिए, क्योंकि वह बच्चे के सम्पूर्ण मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए सम्पूर्ण आहार के रूप में काम करता है। बच्चे को हर डेढ़ से दो घंटे में भूख लगती है। इसलिए बच्चे को जितना अधिक बार संभव हो सके माँ का दूध पिलाते रहना चाहिए। माँ का शुरुआती दूध कम होता है लेकिन वह बच्चे के लिए पूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं यह सोचती हैं कि उनका दूध बच्चे के लिए पूरा नहीं पड़ रहा है और वह बाहरी दूध देना शुरू कर देती हैं जो कि एक भ्रांति के सिवाय और कुछ भी नहीं है। माँ के दूध में भरपूर पानी और पोषक तत्व होते हैं इसलिए बच्चे को बाहर का कुछ देने की जरूरत नहीं होती।
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रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar