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गर्भस्थ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए माँ से जुड़ी गर्भनाल की सुरक्षा जरूरी
- गर्भनाल के संक्रमण से नवजात को हो सकता है नुकसान, रहें सतर्क
मुंगेर, 02 अगस्त-
गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु के सम्पूर्ण विकास की जिम्मेदारी उसकी माँ के साथ जुड़ी गर्भनाल पर होती है। जिसके माध्यम से गर्भस्थ शिशु को प्रसव से पहले तक सम्पूर्ण आहार मिलता है। जन्म के बाद भी कुछ समय तक यह गर्भनाल शिशु से जुड़ा रहता है। इसलिए, यह लाजिमी है कि गर्भनाल के खुद से सूख कर गिरने तक इसे संक्रमित होने या टूटने से बचाया जाए। इसके साथ ही गर्भनाल की सफाई और बेहतर देखभाल का ध्यान रखा जाए, अन्यथा गर्भनाल में संक्रमण फैलने की संभावना काफी बढ़ जाती है, जो नवजात के लिए मृत्यु का भी कारण भी बन सकता है।
- गर्भस्थ शिशु समुचित विकास के लिए गर्भनाल की देखभाल जरूरी:
सदर अस्पताल मुंगेर स्थित प्रसव गृह में कार्यरत डॉ. मंजुला रानी मंडल ने बताया कि गर्भनाल की समुचित देखभाल बहुत ही जरूरी होती है। शिशु जन्म के बाद नाल के ऊपर से किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ या क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नाल को सूखा रखना जरूरी होता है। बाहरी चीजों के इस्तेमाल से संक्रमण की संभावना काफी बढ़ जाती है। सदर अस्पताल में नियुक्त सभी स्वास्थ्य कर्मी विशेष कर प्रसव कक्ष से जुड़ी जीएनएम, एएनएम नर्स एवं चिकित्सक इसके लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं तथा वो प्रसवोपरांत माताओं को इन सब बातों की जानकारी बारीकी से देती हैं।
- क्यों हैं गर्भनाल सुरक्षा प्रबंधन आवश्यक :
केयर इंडिया मुंगेर की डीटीओएफ डॉ. नीलू ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार नवजात मृत्यु की संभावना जन्म के पहले माह की अपेक्षा आगे आने वाले महीनों में 15 गुना कम होती है। पांच साल से अंदर बच्चों की लगभग 82 लाख मौतों में 33 लाख मौतें जन्म के पहले महीने में ही होती है। जिसमें लगभग 30 लाख मृत्यु पहले सप्ताह एवं 2 लाख मृत्यु जन्म के ही दिन हो जाती है। जन्म के शुरुआती सात दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण भी एक प्रमुख कारण होता है।
- बेहतर गर्भनाल सुरक्षा प्रबंधन के लिए इन बातों का रखें ख्याल :
प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और माँ के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने देना जरूरी है। जिसमें 5 से 10 दिन लग सकते हैं। शिशु को बचाने के लिए नाल को हमेशा सुरक्षित और साफ रखना आवश्यक है ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके।
- लक्षणों पर दें ध्यान तो बनी रहेगी शिशु की मुस्कान :
उन्होंने बताया कि किसी कारणवश शिशु के गर्भनाल या उसके आस पास ऐसे लक्षण दिखें तो बिना देर किए तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या किसी अनुभवी शिशु विशेषज्ञ की परामर्श लेना आवश्यक है ।
- गर्भनाल के आसपास की त्वचा में सूजन या लाल हो जाना
- नाल से दुर्गंध युक्त द्रव का बहाव होना
- शिशु के शरीर का तापमान असामान्य होना
- नाल के पास हाथ लगाने से शिशु का दर्द से रोना ।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar