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जिले में टीबी मरीजों को चिह्नित करने के लिए चल रहा अभियान
-कैंप लगाकर लोगों की जा रही जांच, मरीजों को इलाज की दी जा रही सलाह
-कैंप में मौजूद लोगों को टीबी से बचाव और इसके इलाज की दी जी रही है जानकारी
भागलपुर, 19 नवंबर
टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसी सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के सहयोग से जिलेभर में स्क्रीनिंग कैंप लगा रहा है। कैंप में जांच के बाद लक्षण वाले मरीज मिलने पर उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जांच और इलाज के लिए भेजा जा रहा है। इसी सिलसिले में नवगछिया के उर्दू मध्य विद्यालय में कैंप लगाया गया, जहां पर कि 150 लोगों की जांच हुई। इसमें 10मरीज चिह्नित हुए। सभी लोगों को नवगछिया अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह दी गई। साथ ही मौके पर मौजूद लोगों को टीबी से बचाव और इलाज के बारे में जानकारी दी गई। इसी तरह कहलगांव के वार्ड नंबर 5 और 6 में भी स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया। यहां पर 75 लोगों की जांच की गई। इनमें से चार लोग लक्षण वाले मिले। सभी लोगों को जांच और इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया। यहां पर भी मौजूद लोगों को टीबी से बचाव और इलाज की जानकारी दी गई।
टीबी को हल्के में नहीं लेः सीडीओ डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए। एक टीबी का मरीज साल में 10 से अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है और फिर आगे वह कई और लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसलिए लक्षण दिखे तो तत्काल इलाज कराएं। एक के जरिए कई लोगों में इसका प्रसार हो सकता है। अगर एक मरीज 10 लोगों को संक्रमित कर सकता है तो फिर वह भी कई और लोगों को संक्रमित कर देगा। इसलिए हल्का सा लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं और जांच में पुष्टि हो जाती है तो इलाज कराएं। डॉ दीनानाथ ने कहा कि टीबी अब छुआछूत की बीमारी नहीं रही। इसे लेकर लोगों को अपना भ्रम तोड़ना होगा। टीबी का मरीज दिखे तो उससे दूरी बनाने के बजाय उसे इलाज के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और जागरूकता बढ़ने से इस बीमारी पर जल्द काबू पा लिया जाएगा। ऐसा करने से कई और लोग भी इस अभियान में जुड़ेंगे और धीरे-धीरे टीबी समाप्त हो जाएगा।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः केएचपीटी की आरती झा ने बताया कि टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
बीच में दवा नहीं छोड़ेः डॉ. दीनानाथ ने कहा कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar