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घर-घर जाकर टीबी मरीजों की हो रही पहचान
-टीबी मरीज मिलने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा जा रहा
-जिला को टीबी से मुक्त कराने को स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध
भागलपुर, 20 नवंबर।
जिला को 2025 से पहले टीबी से मुक्त कराना है। इसे लेकर जिला स्वास्थ्य समिति ने पूरी ताकत झोंक दी है। स्वास्थ्य विभाग को इस काम में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) भी सहयोग कर रहा है। टीबी मरीजों की पहचान को लेकर जगह-जगह कैंप लगाने के साथ ही अब घर-घर जाकर भी टीबी मरीजों की पहचान की जा रही है। इसी सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग और केएचपीटी की टीम रहमतनगर में 223 लोगों के घर गई। इस दौरान टीबी के तीन मरीज मिले। सभी मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।
स्कूली बच्चों को किया जागरूकः उधर, मोहद्दीनगर स्थित मध्य विद्यालय में टीबी को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। स्कूल आए 222 बच्चों को टीबी से बचाव और इलाज की जानकारी दी गई। मौके पर 8 शिक्षक भी मौजूद थे। सभी लोगों को सही पोषण का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। यहां पर भी सभी लोगों की जांच की गई। जांच में कोई भी बच्चा या फिर शिक्षक टीबी के मरीज नहीं निकले।
छात्रों को दिलाई गई शपथः वहीं सुल्तानगंज स्थित आदर्श मध्य विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को टीबी उन्मूलन को लेकर शपथ दिलाई गई। साथ ही सभी लोगों को टीबी के लक्षण, इसके निःशुल्क इलाज और इलाज के दौरान पोषण योजना से मिलने वाले लाभ के बारे में बताया गया। इस दौरान स्कूल में 350 बच्चे और 19 शिक्षक मौजूद रहे।
संतुलित आहार लेः सिविल सर्जन डॉ. उमेश कुमार शर्मा ने बताया कि जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को टीबी से बचने के लिए सलाह दी जा रही है। लोग उस पर अमल करें। उन्होंने कहा कि टीबी से बचाव के लिए सही पोषण भी जरूरी है। अगर सही पोषण नहीं मिलेगा तो लोग कुपोषण के शिकार हो जाएंगे और उस पर टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसलिए लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और मिनरल्स की मात्रा जरूर होनी चाहिए।
ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके मेः डॉ. शर्मा ने कहा कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar