दो हफ्ते तक लगातार खांसी हो तो टीबी जांच कराएं


टीबी मरीजों की पहचान को लेकर जीविका दीदियों को दिया गया प्रशिक्षण

टीबी मुक्त समाज के लिए सामुदायिक स्तर जागरूकता की कही गयी बात

भागलपुर, 7 फरवरी

सुल्तानगंज प्रखंड के सीएलएफ ऑफिस में पर्सपेक्टिव बिल्डिंग वर्कशॉप के तहत जीविका एवं स्वयं सहायता समूह की दीदियों को टीबी बीमारी का दो दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का आयोजन कर्नाटका हेल्थ प्रोमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) ने कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराते हुए कराया। इस दौरान दीदियों को टीबी बीमारी की पहचान को लेकर उसके लक्षण के बारे में बताया गया। अगर किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण मिले तो तत्काल क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी प्रशिक्षण के दौरान दिया गया। 

केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर आरती झा ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान दीदियों को बताया गया कि अगर आपके स्वयं सहायता समूह या पड़ोस में किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक जागरूकता से ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। जीविका दीदियां अपने स्वयं सहायता समूह के साथ-साथ आसपास के लोगों को भी जागरूक करेंगी तो हम समाज से टीबी बीमारी को खत्म कर सकते हैं। मौके पर फैयाज खान, पंकज सिंह, संदीप कुमार, डॉ. अंजनी, संगीता कुमारी, विजेता दीप लक्ष्मी और अभिनंदन कुमार मौजूद थे। 

ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके मेः मौके पर जीविका दीदियों को बताया गया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं। 

पौष्टिक भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

बीच में दवा नहीं छोड़ेः टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते हैं और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।

टीबी के लक्षण

1. दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।

2. रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंढे का क्यों न हो।

3. लगातार बुखार रहना

4.थकावट होना

5.वजन घटना

6.सांस लेने में परेशानी होना 


बचाव के तरीके-

1. जांच के बाद टी.बी.रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।

2.मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को  पेपर नैपकीन से कवर करें।

3.मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।

4.मरीज हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।

5.पौष्टिक खाना खाएं।योगाभ्यास करें।

6.बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।

7. भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचें।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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