उमड़ते सौ करोड़ अभियान के तहत लैंगिक असामानता, माहवारी स्वच्छता और महिला हिंसा पर चर्चा 

 
उमड़ते सौ करोड़ अभियान के तहत लैंगिक असामानता, माहवारी स्वच्छता और महिला हिंसा पर चर्चा 
सहयोगी और साहस संस्था की साझेदारी में हुआ तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 
 
प्रतिभागियों को कार्यशाला में मिली माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों व मिथकों पर जानकारी 
 
 
पटना, 11 फरवरी:
समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव और हिंसा के प्रति समुदाय में जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए किशोरियों व महिलाओं के साथ विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है. जिला के दानापुर तथा बिहटा प्रखंड के विभिन्न गांवों में उमड़ते सौ करोड़ अभियान के तहत अलग अलग गतिविधियों में बड़ी संख्या में किशोरियां व महिलाएं हिस्सा ले रहीं हैं. उमड़ते सौ करोड़ अभियान एक अन्तर्राष्ट्रीय अभियान है जो विश्व के दो सौ से अधिक देशों में जेंडर आधारित भेदभाव व हिंसा के विरुद्ध एक सशक्त आवाज है. यह अभियान सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने तथा समानता को बढ़ावा देने का प्रयास है.  बिहार में सहयोगी नामक संस्था द्वारा वर्ष 2016 से इस अभियान को दिशा मिल रही है. इसके तहत विभिन्न नेटवर्क संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कलाकारों, महिलाओं, किशोर-किशोरियों, छात्रों के साथ बैठक कर लैंगिक हिंसा के प्रति जागरूक किया जा रहा है. संस्था घरेलु हिंसा को समाप्त करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन कर रही है.  
 
तीन दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन: 
 
इस अभिायान के तहत सहयोगी संस्था और साहस संस्था की साझेदारी में लैंगिक असामानता पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. ऑनलाइन कार्यशाला में दो सौ से अधिक प्रतिभागियों एवं प्रशिक्षुओं ने भाग लिया. इस दौरान जेंडर, माहवारी स्वच्छता प्रबंधन एवं मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई, साथ ही प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा किया. सहयोगी की प्रोग्राम डायरेक्टर रजनी ने कहा कि कोरोना महामारी के तीसरे लहर के कारण आॅनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कार्यशाला के पहले दिन जेंडर असमानता विषय पर किशोरियों ने अपने विचार रखें और कहा कि उन्हें अपने घर के पुरुषों की तरह आजादी नहीं मिल पाती है. घर के साथ साथ खेती बारी के काम में भी बेटियां हाथ बंटाती हैं फिर भी उनके काम को महत्व नहीं दिया जाता है. किशोरियों ने बताया घर के बाहर भी उन्हें कई परेशानियों का सामना करना होता है. लोगों का ताना, छेड़छाड़ तथा लैंगिक असमानता का सामना करना पड़ता है. 
 
सोशल मीडिया पर होता है भेदभाव:
 
कार्यशाला के दौरान किशोरियों ने कहा कि सोशल मीडिया पर महिलाओं के मजाक उड़ाये जाते हैं और गालियों से भी संबोधित किया जाता है. प्रतिभागी निशु ने कहा कि माहवारी के दौरान धार्मिक प्रतिबंधों का सामना महिलाएं करती हैं और कक्षा में साफ सफाई की जिम्मेदारी लडकियों की होती है. जबकि लड़कों पर ऐसे कामों की जिम्मेदारी नहीं दी जाती है. 
प्रतिभागियों ने कहा  पुरुष केवल घर के बाहर का ही काम करना चाहते हैं, जबकि उन्हें भी बच्चों की देखभाल और घरेलु काम में सहयोग करना चाहिए. यद्यपि कुछ महिलाओं ने यह स्वीकार किया कि कुछ किशोर, पुरुष घर के कार्यों में सहयोग करते हैं. माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में बात करते हुए प्रतिभागी शिवानी ने कहा कि माहवारी को लेकर कोई जागरूकता संबंधी बातचीत नहीं की जाती है. समाज में आज भी इसके प्रति भ्रांतियां व गलत धारणाएं हैं. इसे दूर किये जाने की जरूरत है.  अन्य प्रतिभागियों ने बताया कि परेशानी या तकलीफ में हम दोस्तों से या माँ-बहन से बात कर लेते हैं, गाना गाते हैं, छत पर घूम लेते हैं तो मन हल्का हो जाता है। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी चर्चा की गई।साहस संस्था की मोना ने कहा कठिनाई, भय अथवा चिंता के समाधान लिए सकारात्मक पहल करना चाहिए, उपयुक्त व्यक्ति से सलाह-मशवरा कर उसका निदान करना चाहिए।  ऑनलाइन कार्यशाला में सहयोगी संस्था से उन्नति, लाजवंती, उषा, बिंदु, निर्मला, रूबी, मुन्नी, रिंकी, मनोज, धर्मेन्द्र, नितीश ने भाग लिया।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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