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स्पर्श कुष्ठ पखवाड़ा के दौरान 35 मरीजों की हुई पहचान
-मरीजों में 8 बच्चे भी शामिल, सभी का शुरू किया गया इलाज
-30 जनवरी से 13 फरवरी तक चला था कुष्ठ स्पर्श पखवाड़ा
बांका, 19 फरवरी-
महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर 30 जनवरी से जिले में चलाए गए स्पर्श कुष्ठ पखवाड़ा के दौरान 35 कुष्ठ रोगियों की पहचान की गई। इनमें से 8 बच्चे भी हैं। सभी मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। जिले में पखवाड़ा 13 फरवरी तक चला था। इस दौरान कुष्ठ निवारण को लेकर तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसके जरिये लोगों को कुष्ठ के प्रति जागरूक किया गया। जिला पर्यवेक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि पखवाड़ा के दौरान आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से जिले के 2254 गांवों के 22,32,826 लोगों को कुष्ठ के बारे में जागरूक किया गया। सभी लोगों को कुष्ठ के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और इससे बचाव के तरीके बताए गए। इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 3177 सभाओं का आयोजन किया गया। लोगों से महात्मा गांधी के कुष्ठ मुक्त भारत के सपने को साकार करने के लिए कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने और अगर मरीज दिखे तो उसका इलाज करवाने की अपील की गई। साथ ही कुष्ठ रोग से विकलांग हुए लोगों के लिए ग्रेड-2 के तहत मिलने वाली पेंशन प्रति महीना 1500 रुपये देने की जानकारी भी दी गई। इसके अलावा उनके आश्रितों को 1000 रुपये प्रतिमाह राशि देने की बात भी लोगों को बताई गई। गांवों में सभाओं के जरिये 2,92,136 लोगों को कुष्ठ रोगियों से भेदभाव नहीं करने औऱ उसका इलाज कराने का संकल्प दिलाया गया।
कुष्ठ रोगियों से दूरी नहीं बनाएं, उनका इलाज करवाएं: एसीएमओ डॉ. अभय प्रकाश चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ दिवस से शुरू हुआ पखवाड़ा जिले में काफी सफल रहा। काफी संख्या में लोगों ने कुष्ठ को खत्म करने की शपथ ली। लोगों ने कुष्ठ रोगियों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करने की बात कही। अगर कोई कुष्ठरोगी दिखे तो तत्काल उसे अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाने की बात कही हई। साथ ही कुष्ठ रोगियों की पहचान कैसे करनी है, इसके भी तरीके बताए गए। लोग अगर कुष्ठ रोगियों से दूरी बनाने की बजाय उसका इलाज करवाएंगे तो यह बीमारी समाज से खत्म हो जाएगा।
कुष्ठ का पूर्ण इलाज संभवः डॉ. चौधरी कहते हैं कि कुष्ठ की बीमारी जीवाणु से होता है, जिसका पूर्ण इलाज संभव है। इसकी पहचान बहुत ही आसान है। चमड़े पर किसी प्रकार का दाग या धब्बा, जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती है और वह जन्म से नहीं है तो वह कुष्ठ का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। समय से इलाज होने पर यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है और वह पहले वाली जिंदगी जी सकता है। एमडीटी का पूरा खुराक नियमानुसार लेने के बाद कुष्ठ पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है। इलाज नहीं कराने पर उस व्यक्ति से कई लोगों में संक्रमण हो सकता है। इसलिए अगर कोई कुष्ठ रोगी दिखे तो उसका तत्काल इलाज करवाएं।
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रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar