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बढ़ते तापमान व गर्म तेज हवाओं से शरीर को सुरक्षित रखना जरूरी
- गर्म हवाओं के कारण लू लगने की बढ़ जाती है संभावना,
चिकित्सीय परामर्श जरूरी - ओआरएस का घोल पिलाने से होता है डिहाइड्रेशन से बचाव
मुंगेर, 20 अप्रैल-
जिला में पिछले कुछ दिनों से लगातार तापमान में बढ़ोत्तरी हो रही है। वहीं, गर्म हवाओं के थपेड़ों के कारण दोपहर में सड़क पर लोगों का चलना मुश्किल हो गया है। ऐसे मौसम में गर्म हवाओं के कारण लू लगने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। बढ़ते तापमान के साथ चलने वाली गर्म तेज हवाओं से शरीर को सुरक्षित रखना आवश्यक है । इसके साथ ही मौसम के अनुकूल शरीर को ढालने के लिए सही और संतुलित खान-पान के साथ दैनिक दिनचर्या में भी बदलाव करना जरूरी है। नवजात शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण में सुधार कर गर्मी के दुष्परिणामों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। दैनिक दिनचर्या एवं आहार परिवर्तन जरुरी : अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आनंद शंकर शरण सिंह ने बताया कि गर्मी के बढ़ने से पसीना चलना शुरू होता है । जिससे शरीर में पानी की मात्रा में तेजी से कमी आती है। इसलिए इस मौसम में प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करना फायदेमंद है। इसके साथ ही रसदार मौसमी फलों का सेवन भी शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने में सहायक होता है। नमक-चीनी का घोल, छाछ, नींबू पानी, आम का शर्बत, लस्सी, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, कच्चे प्याज सत्तु, पुदीना, सौंफ आदि के सेवन के साथ मौसमी फल भी खाना चाहिए। इसके साथ ही हमें अपने शरीर की रक्षा के लिए दैनिक दिनचर्या में भी बदलाव करना जरूरी है। इसके लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है : - खाली पेट घर से बाहर नहीं निकलें । - सुपाच्य व हल्के भोजन का करें सेवन एवं खूब पानी पीयें । - अत्यधिक शीतल पेय पदार्थों के सेवन करने से बचें । - रात्रि में देर रात तक नहीं जागें एवं कम से कम 8 घन्टे की नींद जरूर लें । - अत्यधिक वजन वाले लोग गर्मी के दिनों में वसा युक्त भोजन सेवन करने से बचें । - हल्के रंग के ढीले ढाले सूती कपड़े पहनें । - धूप के चश्मा के साथ तौलिया/गमछा या छतरी का उपयोग करें। - खाली पैर न घूमें, जूते या चप्पल जरूर पहनें । लू लगे व्यक्ति को ठंडे स्थान पर रखा जाना चाहिए : उन्होंने बताया कि लू लगने के कारण मरीज को मांसपेशियों और मस्तिष्क से जुड़ी समस्या होती है। मस्तिष्क तापमान कंट्रोल नहीं कर पाता है। पसीना चलना बंद हो जाता और शरीर की गर्मी शरीर में ही रहती है। लू लगने पर शरीर को नमक व पानी की जरूरत होती है। लू लगने पर मांसपेशियों में तनाव महसूस होता है। लू लगे व्यक्ति को सबसे पहले ठंंडे स्थान पर रखा जाना चाहिए। मरीज यदि बेहोश नहीं है तो उसे ओरआरएस पिलाना चाहिए। वहीं, मरीज बेहोश हो गया है, तो नॉर्मल स्लाइन देना है। उन्होंने बताया, लू लगने की स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श जरुरी है। ऐसे प्राथमिक उपचार के तौर पर लू लगने पर ओआरएस का घोल पीना चाहिए। ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके। इसके इलाज के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है।
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रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar