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बच्चों का कराएं बीसीजी का टीकाकरण और टीबी के खतरा से रखें दूर
- बचाव के लिए टीकाकरण के साथ सतर्कता भी जरूरी, इसलिए रहें सावधान
- लगातार खाँसी रहने पर तुरंत कराएं जाँच, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है समुचित जाँच व इलाज की व्यवस्था
- इलाज के दौरान सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी है पीड़ित मरीजों को देने का प्रावधान
खगड़िया-
लगातार बदल रहे मौसम के कारण सर्दी-खांसी और बुखार समेत अन्य मौसमी बीमारियों का दौर शुरू हो गया है। लोग इन मौसमी बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। इसलिए, स्वास्थ्य के प्रति हर व्यक्ति को विशेष सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। खासकर छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल बेहद जरूरी है। दरअसल, छोटे-छोटे बच्चे में भी टीबी बीमारी की चपेट में आने की प्रबल संभावना रहती है। इसलिए, इससे बचाव के लिए बच्चों को बीसीजी की वैक्सीन जरूरी है। क्योंकि, कुपोषित और एनीमिया पीड़ित बच्चों में टीबी होने विशेष खतरा रहता है। इसलिए, ऐसे बच्चे की उचित देखभाल बेहद जरूरी है।
- टीबी भी है संक्रामक बीमारी :
खगड़िया सदर अस्पताल के उपाधीक्षक (डीएस) डाॅ योगेन्द्र सिंह प्रायसी ने बताया, टीबी एक संक्रामक बीमारी है और इससे बच्चों को भी अधिक खतरा रहता । इसलिए, इससे बचाव के लिए बच्चों के प्रति भी विशेष सजग रहने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए हर व्यक्ति को अपने बच्चे को निश्चित रूप से बीसीजी की वैक्सीन लगवानी चाहिए। यह बचाव के लिए सबसे बेहतर और आसान उपाय है। वहीं, उन्होंने बताया, यह बीमारी ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टेरिया के कारण होता है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। क्योंकि, हवा के जरिये यह बीमारी एक से दूसरे इंसान के अंदर फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह, नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें से फैलती है। फेफड़ों के अलावा कोई दूसरा टीबी इतना संक्रामक नहीं होता है।
- टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को बचाएँ :
टीबी पीड़ित बच्चे के संपर्क से सामान्य बच्चे को दूर रखें। यदि घर से बाहर जाने की आवश्यकता हो तो बच्चे को मास्क पहनाकर ही भेजें। क्योंकि, टीबी संक्रामक बीमारी होती है। इसलिए, बच्चों को श्वसन संबंधित स्वच्छता रखने के लिए प्रेरित करें। उन्हें पौष्टिक आहार दें। खानपान में विटामिन - सी वाले भोज्य पदार्थ दें। टीबी पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी नींद जरूरी है।
- लक्षण महसूस होते ही कराऐ जाँच :
लक्षण महसूस होते ही ऐसे मरीजों को बिना देर किए अपनी जाँच करवानी चाहिए। जिला सदर अस्पताल, सभी पीएचसी तथा जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में मुफ्त जाँच से लेकर समुचित इलाज एवं दवाई की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है। इतना ही नहीं, बल्कि टीबी पीड़ित मरीजों को उचित पोषण आहार के लिए सहायता राशि भी दी जाती है।
- बचाव के उपाय :
1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।
- मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
- मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
- पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।
- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
- भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
- ये हैं टीबी के लक्षण :
- भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
- बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
- हलका बुखार रहना।
- खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
- गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
- गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
- महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
- पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
- टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar