टीबी को लेकर लगाए गए शिविर में 250 लोगों की स्क्रीनिंग की गई

 
- कहलगांव के ओरियप पंचायत के चंडीपुर पहाड़िया टोला में शिविर का किया गया आयोजन 
- टीबी के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की दी गई जानकारी 
 
भागलपुर-
 
मंगलवार को कहलगांव के ओरियप पंचायत के चंडीपुर पहाड़िया टोला में टीबी मरीजों की जाँच के लिए स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्क्रीनिंग के साथ-साथ मौजूद लोगों को टीबी के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही टीबी मरीजों के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच एवं इलाज की उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी भी दी गई। इस शिविर का आयोजन अनुमंडलीय अस्पताल कहलगांव एवं एचपीटी के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। जिसमें 250 से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई एवं स्क्रीनिंग के पश्चात जरूरी और आवश्यक चिकित्सा परामर्श दी गई। इस मौके पर अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक (डीएस) डाॅ विवेकानंद, केएचपीटी की आरती झा, धीरज कुमार मिश्रा समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मी मौजूद थे। 
डाॅ विवेकानंद ने बताया कि किसी व्यक्ति को लगातार दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक खांसी, बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होना की शिकायत हो तो उसे तुरंत नजदीक के सरकारी अस्पताल में ले जाकर जांच कराने की सलाह दें। ये टीबी के लक्षण हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि सरकारी अस्पताल में टीबी की जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है। लोगों को जागरूक कर ही टीबी बीमारी को समाज से मुक्त कर सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रहे हैं। 
बीच में दवा नहीं छोड़ेः वहीं, डाॅ विवेकानंद ने बताया कि टीबी की दवा आमतौर पर छह महीने तक चलती है। कुछ पहले भी ठीक हो जाते और कुछ लोगों को थोड़ा अधिक समय भी लगता है। इसलिए जब तक टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो जाए, तब तक दवा का सेवन छोड़ना नहीं चाहिए। बीच में दवा छोड़ने से एमडीआर टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर कोई एमडीआर टीबी की चपेट में आ जाता है तो उसे ठीक होने में डेढ़ से दो साल लग जाते हैं। इसलिए टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ें। जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं तब तक दवा खाते रहें।
भोजन के लिए मरीजों के मिलते हैं पैसेः केएचपीटी की डिस्ट्रिक्ट टीम लीडर डाॅ आरती झा ने बताया, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसीलिए टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
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