घर में टीबी के मरीज निकले तो परिवार के सभी लोग कराएं जांच

-टीबी की पुष्टि नहीं भी हो तो आइसोनियाजिड दवा लें
-भविष्य में टीबी होने की संभावना पूरी तरह हो जाएगी खत्म
 
बांका, 28 अगस्त-
 
जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। जागरूकता से लेकर टीबी मरीजों की पहचान को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। इसका फायदा भी मिल रहा है। जिले में तेजी से टीबी मरीजों की पहचान हो रही  और उतनी ही तेजी से टीबी के मरीज ठीक भी हो रहे हैं। अब इसमें आमलोगों के सहयोग की भी जरूरत है। आमलोग सहयोग करेंगे तो जिले में टीबी उन्मूलन की गति तेज होगी। आमलोगों का पहला दायित्व है कि इसके संक्रमण को रोका जाए। अगर किसी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखे। यानी कि लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम के साथ खून आए, लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त अधिक पसीना आने के किसी में लक्षण दिखे तो उसे तत्काल सरकारी अस्पताल लेकर जाएं। वहां जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती हो तो उसे इलाज के लिए तैयार करें। इसके अलावा अगर किसी के घर में कोई टीबी से संक्रमित होता है तो उनके परिजनों का भी इलाज किया जाता है, ताकि टीबी के संक्रमण को प्रसारित होने से रोका जा सके। यदि किसी टीबी के लक्षणों वाले मरीज में जांच के बाद टीबी की पुष्टि की जाती है, तो उसके बाद मरीज के परिवार के सभी सदस्यों में टीबी की जांच की जाती है। इसके बाद पुष्टि होने पर भी उनका भी इलाज किया जाता है। लेकिन सदस्यों में टीबी के संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है, तब उनको  आइसोनियाजिड दवा की खुराक दी जाती है। इससे भविष्य में उनमें संक्रमण की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती है। इसलिए अगर किसी के घर में कोई टीबी से संक्रमित होता है तो पूरे परिवार की जांच जरूर करवाएं। जांच में अगर टीबी की पुष्टि नहीं भी होती है तो अन्य सदस्य आइसोनियाजिड दवा जरूर लें। 
उम्र के हिसाब से दी जाती है दवाः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि पहले टीबी संक्रमित मरीजों के परिवार में सिर्फ छह साल से कम उम्र के बच्चों को उनकी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए ही दवा की खुराक दी जाती थी। लेकिन अब टीबी की पुष्टि होने के बाद परिवार के सभी सदस्यों की जांच करने के बाद दवा की खुराक दी जाती है। यह खुराक उनके उम्र और वजन के अनुसार दी जाती है, इसलिए टीबी के लक्षणों वाले मरीजों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनसे जानकारी लेकर पारिवार की सूची तैयार की जाती है। इसमें छह वर्ष से अधिक और छह वर्ष से कम लोगों को अलग किया जाता है। इससे उन्हें दवा देने में सहूलियत होती है।
बीच में नहीं छोड़ें दवाः डॉ. सिन्हा हैं कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की मुफ्त व्यवस्था है। इसलिए किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल का रुख करें। टीबी का समय से इलाज शुरू होने पर जल्द मुक्ति मिलेगी। साथ ही दवा का भी नियमित तौर पर सेवन करें। दवा बीच में छोड़ने पर एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है। इसलिए जब तक ठीक नहीं हो जाएं, दवा नहीं छोड़ें।

रिपोर्टर

  • Aishwarya Sinha
    Aishwarya Sinha

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