पंडित क्षितिपाल मल्लिक की स्मृति में ध्रुवपद व शास्त्रीय गायन की अनोखी जुगलबंदी

 
नई दिल्ली-
 
दरभंगा घराने की विशिष्ट गायन शैली ध्रुपद गायन संगीत परंपरा की वाहक रही हैं। पंडित क्षितिपाल मल्लिक ध्रुवपद सोसाइटी के सौजन्य से दिल्ली में संगीतमय ध्रुपद संध्या का आयोजन किया गया। राजधानी के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी सभागार में दरभंगा घराना के महान ध्रुवपद गायक स्वर्गीय ध्रुपद सम्राट आचार्य पंडित क्षितिपाल मल्लिक की 5वीं कड़ी में ध्रुवपद गायन व शास्त्रीय संगीतमय प्रस्तुति ने वहां उपस्थित श्रोताओं को रसरंजित कर दिया। इस विशेष कार्यक्रम में दरभंगा घराने के ध्रुवपद गायक व पटना निवासी पंडित जगत नारायण पाठक मल्लिक ने अपनी पहली प्रस्तुति की शुरूआत राग मधुवंती, में आलाप और ध्रुपद की  बंदिश, के साथ माहौल को सुरमयी बना दिया। संगीत सम्राठ तानसेन की रचना घन-घन तेरो रूप, घन-घन तेरो जीवन और करम, राजदुलारी सांचों रूप घटी, सब सखियन में चल उठ वन के बाद सुल ताल, बंदिश राग भूप कल्याण में गायन के जरिए श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उनके साथ पखावज पर पंडित मनमोहन नायक, सारंगी में पंडित घनश्याम सिसोदिया, तानपुरा पर सरदार बूटा सिंह और शेर अली से बेहतरीन संगत दी।
 
दिल्ली के प्रख्यात वायलिन वादक पंडित संतोष नाहर और तबला वादक उस्ताद मुस्तफा हुसैन की जुगलबंदी की कमाल की रही। संगीतमय शाम की दूसरी प्रस्तुति के तौर संतोष नाहर ने राग वाचस्पति से संगीत की शुरूआत की। राग पुरवी धुन के बाद एक ताल, तीन ताल, द्रुत, स्वर आलाप, स्वर बहुत क्रमानुसार, राग का विस्ता और द्रुत में अलंकारी तानों के अलावा सम्राट की ताल, गमक, गायकी, वादन तंत्र का सुंदर सुमेल की मनोरम प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में राजस्थान की पहली एवं वरिष्ठ ध्रुवपद गायिका प्रोफेसर डॉ मधु भट्ट ’तैलंग’ की ध्रुवपद गायन की विशेष प्रस्तुति अत्यंत सराहनीय रही। 
 
शक्तिपूजा को ध्यान में रखते हुए नौ दुर्गाओं के नाम को समाहित करते हुए डॉ. मधु भट्ट द्वारा सृजित नई रचनाओं के नवाचार को विशेष रूप से अपनी प्रस्तुति में स्थान दिया गया। उन्होंने भारतरत्न सितारवादक पं. रविशंकर द्वारा सृजित देवी के नाम पर आधारित राग परमेश्वरी में पंचम स्वर के विशिष्ठ स्वर के प्रयोग के साथ राग के नये कलेवर को प्रस्तुत किया। नौ दुर्गाओं के नाम पर आधारित स्वरचित ध्रुवपद रचना ताल ’सूलताल’ में ’जय जय परमेश्वरी’ की विविध कठिन लयकारियों, बोल एवं लय बांट एवं तिहाईयों और चक्रदार लयकारियों के साथ सुरीली एवं सधी हुई प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र रही। विविध उम्दा लयकारियों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति के तहत 13 मात्रा की पद्मावती, राग भैरवी राग माला की सुंदर प्रस्तुति में पखावज पर पंडित मदन मोहन नायक सारंगी पर पंडित घनश्याम सिसोदिया ने भी सधी हुई संगत की। तानपुरे पर सरदार बूटा सिंह, शेर अली  ने भी सुंदर संगत की।
 
इस अवसर पर युवा धु्रवपद गायक डाक्टर प्रभाकर मल्लिक ने दरभंगा घराने के सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायन परंपरा के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। पंडित नरहरि पाठक मल्लिक जिनके घराने की परंपरा  लगभग 1442 से चली आ रही है, दरभंगा राज़दरबार के राज गायक पंडित क्षितिपाल मल्लिक की अद्भुत गायन परंपरा, ध्रुवपद ख्याल गायिकी के बारे में सुधि श्रोताओं को अवगत कराया। उन्होंने स्वामी हरिदास की महान गीत-संगीत परंपरा को भी जानकारी दी, साथ ही दरभंगा घराने की शास्त्रीय संगीत व ध्रुवपद गायन परंपरा और उनसे जुड़े सुधिजनों, कलाकारों के योगदान को भी स्मरण किया। कार्यक्रम में कलाकारों का परिचय मंच संचालिका श्रद्धा अग्रवाल और विनती अग्रवाल ने बारी-बारी से दी। इस अवसर पर पूर्व आईआरएस अधिकारी अजय कुमार, सुप्रसिद्ध कला समीक्षक व पत्रकार मंजरी सिन्हा सहित संगीत व कला क्षेत्र की दिग्गज नामचीन हस्तियां उपस्थित थीं।

रिपोर्टर

  • Swapnil Mhaske
    Swapnil Mhaske

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

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