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बिहार का शिशु मृत्यु दर में हुआ कमी, राष्ट्रीय औसत के बराबर
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- May 09, 2020
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स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार को आशातीत सफलता
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने टवीट कर दी बधाई
अशोधित जन्म दर में कमी भी अच्छे संकेत
भागलपुर- 08 मई 2019:
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के 2020 बुलेटिन में आंकड़े बिहार के लिए बेहद ही ख़ुशी देने वाले है. राज्य में शिशु मृत्यु दर जो 2017 में 35 थी 2018 (जिसका प्रकाशन मई 2020 में हुआ) में घटकर 32 हो गई है.इस शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कई आई है. बिहार की शिशु मृत्यु दर में आई यह कमी राज्य के लिए उल्लेखनीय सफलता है क्योंकि अब बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के बराबर हो गई है. वही बिहार के अशोधित जन्म दर (प्रति 1 हजार लोगों में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या) में भी कमी आई है, जो वर्ष 201 7 में 26.4 थी, वर्ष 2018 में घटकर 26.2 हो गई है.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने टवीट कर दी बधाई
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने एस आर एस द्वारा जारी बुलेटिन में राज्य के शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट पर प्रसन्नता जाहिर की है, एवं राज्य के लोगों को बधाई दी है. उन्होंने टवीट के माध्यम से बताया है कि राज्य के शिशु मृत्यु दर में 3 पॉइंट की कमी आई है जिससे बिहार की शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत (32 ) के बराबर हो गई है. लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ शेष है. राज्य के सामने जन्म दर एवं कुल प्रजनन दर में कमी लाना इन मुख्या चुनौतियों में शामिल है
क्या है कारण इस बदलाव के:
राज्य में प्रसव पूर्व होने वाले जाँच में आई गुणवतात्मक सुधार एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि जाँच के दौरान हीं जोखिम वाले गर्भवती महिलाओं की पहचान कर ली जाती है और उनका विशेष देखभाल किया जाता है. दूसरी बात यह है कि बिहार में प्रतिरक्षण (टीकाकरण) की सुविधा भी बेहतर हुआ है. इसके साथ ही सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई (पिकू) एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों के देखभाल के लिए एसएनसीयू (सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) है. लड़कियों के शादी के उम्र में हुई बढ़ोतरी जैसे सामाजिक करक भी राज्य के इस उपलब्धि में सहायक है.
शिशु मृत्यु दर में सुधार हेतु किये जा रहे प्रयास:
बिहार में शिशु मृत्यु दर में सुधार हेतु - संस्थागत प्रसव के बाद सभी आवश्यक देखभाल एवं जाँच, रेफेरल एवं जिला अस्पतालों में बीमार नवजातों की देखभाल, घर पर नवजात एवं बच्चों के देखभाल हेतु विशेष कार्यक्रम, माँ कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकतम स्तनपान पर जोर, विटामिन ‘ए’ एवं आयरन फोलिक एसिड का उपरी खुराक, अतिकुपोषित बच्चों का देखभाल, दस्त एवं स्वांस संक्रमन सम्बन्धी बिमारियों का प्रबंधन, गहन प्रतिरक्षण (टीकाकरण) कार्यक्रम, खसरा एवं जापानीज एन्फेलाईटिस का उन्मूलन, पोलियो का उन्मूलन जैसे प्रयास किये जा रहे हैं. अमानत कार्यक्रम जो कि नर्सों के क्षमतावर्धन पर केन्द्रित है और उनकी दक्षता को विकसित कर मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के लिए लक्षित है भी इस दिशा में अहम् भूमिका अदा करती है.
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Premier World (Admin)