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ग्रामीण महिला एवं आंगनबाड़ी सेविका के बीच टीबी को लेकर वार्तालाप
महिला: नमस्ते, दीदी.
आंगनबाड़ी सेविका: अरे बहुत दिनों के बाद नजर आ रही हो? सब ठीक तो है सुधा?
महिला: नहीं दीदी. कुछ दिनों से परेशान चल रही हूँ. मुन्नी के पापा की तबीयत अच्छी नहीं चल रही है.
आंगनबाड़ी सेविका: क्या हुआ है मुन्नी के पापा को?
महिला: क्या बताऊँ दीदी, मुन्नी के पापा लगभग 15 दिनों से काम पर नहीं जा रहे हैं. उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही है. 15 दिनों से उन्हें खाँसी हो रही है. साथ में कभी-कभी तो बुखार भी रहता है. कमजोरी और थकान भी बनी रहती है. मेडिकल हॉल से कुछ दवाई लाकर खिलाई भी थी. लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ है. कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या हो गया है.
आंगनबाड़ी सेविका: सुधा तुमने जो सारे लक्षण बताए हैं वे टीबी के भी लक्षण हैं.
महिला: दीदी, क्या-क्या टीबी के लक्षण होते हैं?
आंगनबाड़ी सेविका: दो सप्ताह या ज्यादा दिनों से खाँसी आना, बुखार या शाम के समय शरीर गर्म होना, वजन में कमी रात में पसीना आना, भूख न लगना, छाती में दर्द, बलगम में खून आना, कमजोरी एवं थकान एवं गर्दन के बगल में सूजन जैसे लक्षण अगर दिखाई दे तो टीबी की जाँच कराना जरुरी है.
महिला: दीदी, टीबी होता कैसे है? क्या इससे बाकी लोगों को भी कोई खतरा है?
आंगनबाड़ी सेविका: टीबी जीवाणु से होने वाला रोग है. टीबी के जीवाणु हवा द्वारा फैलते हैं. टीबी रोगी जब खाँसते अथवा छींकते है तो रोग के जीवाणु छोटे कणों के रूप में हवा में फ़ैल जाते हैं. जब कोई स्वस्थ व्यक्ति इसके संपर्क में आता है तो उसे भी टीबी होने का डर होता है.
महिला: दीदी, कितने दिनों में कोई व्यक्ति सम्पर्क में आने से टीबी से बीमार हो सकता है.
आंगनबाड़ी सेविका: टीबी रोगी की यदि समय से उपचार नहीं शुरू किया जाए तो एक रोगी के संपर्क में रहने वाले 10-15 अन्य लोग एक वर्ष में संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए टीबी रोगी को खांसते एवं छींकते समय मुँह को रुमाल या कपड़े से ढंकना चाहिए. सबसे बेहतर है कि मास्क का इस्तेमाल किया जाए. इससे कोरोना के साथ टीबी से भी बचाव होगा.
महिला: दीदी, टीबी की जाँच कराने और दवा में तो बहुत पैसा खर्च होता होगा?
आंगनबाड़ी सेविका: अरे सुधा, टीबी जांच से लेकर इसके पूरे ईलाज की सुविधा सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल मुफ़्त है. घबराने की कोई जरूरत नहीं है. आज ही तुम अपने पति ब्लॉक पीएचसी ले जाओ. पुनरीक्षित राष्ट्रीय यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी रोगियों के लिए निःशुल्क टीबी की जाँच और दवाएं उपलब्ध है.
महिला: दीदी, मैंने सुना है. टीबी जल्दी ठीक नहीं होता है. यह सुनकर डर लग रहा है.
आंगनबाड़ी सेविका: ऐसा बिल्कुल नहीं है. अब टीबी लाइलाज नहीं है. लेकिन तब भी सतर्कता जरुरी है. टीबी का सफल ईलाज तभी संभव होता है जब टीबी की दवाओं का पूरा कोर्स किया जाए. आधे-अधूरे उपचार से टीबी की दवाइयाँ बेअसर हो जाती है.
महिला: दीदी, टीबी का ईलाज कितने दिनों तक चलता है और किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है?
आंगनबाड़ी सेविका: टीबी की दवाएं सामान्यता 6 से 8 महीनों तक चलता है. लेकिन कभी-कभी रोगी थोड़ा ही लाभ मिलने पर दवाओं का सेवन बीच में ही छोड़ देते हैं, जिसके कारण टीबी की दवाएं बेअसर हो जाती हैं. यह बाद में और खतरनाक हो सकता है एवं इससे मल्टीप्ल ड्रग रेजिस्टेंस की स्थिति पैदा हो सकती है, जिसमें कई टीबी की दवाएं काम करना बंद कर देती है. नियमित दवा का सेवन एवं टीबी दवाओं का कोर्स पूरा करने की जिम्मेदारी अकेले रोगी की नहीं है. बल्कि यह जिम्मेदारी रोगी, परिवार के सदस्य एवं स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी की भी है.
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar