- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice
2011 से 2021 के बीच राज्य की औसत जनंसख्या वृद्धि दर सबसे कम: मंगल पांडेय
- by
- Jul 15, 2021
- 1814 views
• जिलों के 500 स्वास्थ्यकर्मी ज़ूम एवं यूट्यूब के जरिये वर्चुअल रूप से जुड़े
• 70 सालों में राज्य की जनसंख्या हुई 4 गुनी, 1991 से 2001 के बीच सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर
• 5 सालों में कुल प्रजनन दर 3.4 से घट कर हुआ 3
• बालिकाओं की बेहतर शिक्षा परिवार नियोजन के उद्देश्यों को हासिल करने में होगा सहयोगी
पटना-
विश्व भर में भारत ही पहला देश है जिसने जनसंख्या नीति लागू किया। माता एवं बच्चा स्वस्थ एवं पोषित हों तथा प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त संसाधन प्राप्त हो, इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष 1952 में देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत हुई जो अभी तक जारी है। उक्त बातें राज्य स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बुधवार को पटना के एक होटल में विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।
2011 से 2021 के बीच सबसे कम जनसंख्या वृद्धि दर:
श्री पांडेय ने कहा कि 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है कि लोग परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति संवेदनशील होकर इसकी जरूत को समझे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 में बिहार की जनसंख्या 2.9 करोड़ थी, जो 2021 में बढ़कर 12.7 करोड़ हो गयी है। इस तरह से 70 सालों में राज्य की जनसंख्या 4 गुना से अधिक बढ़ी है। जबकि 1991 में राज्य की जनसंख्या 6.45 करोड़ थी, जो 2001 के बढ़कर 8.3 करोड़ हो गयी। इस अवधि के दौरान राज्य की जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक यानी 28.6% रही है। वहीं, 2011 में राज्य की जनसंख्या 10.38 करोड़ थी ,जो अब 2021 में 12.7 करोड़ के आस-पास हुई है। इन 10 सालों में औसत जनसंख्या वृद्धि दर 22.3% ही है,जो इन 70 सालों में सबसे कम वृद्धि दर है।
कुल प्रजनन दर घट कर हुआ 3:
मंगल पांडेय ने कहा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार बिहार कुल प्रजनन दर कम करने में सफ़ल हुआ है। वर्ष 2014-15 में कुल प्रजनन दर 3.4 था, जो 2019-20 में घटकर 3 हो गया है। वहीं, बिहार की नवजात मृत्यु में भी 3 अंकों की कमी आई है. बिहार की नवजात मृत्यु दर जो वर्ष 2017 में 28 थी जो वर्ष 2018 में घटकर 25 हो गयी. अब बिहार की नवजात मृत्यु दर भी देश की नवजात मृत्यु दर(23) के औसत के काफ़ी करीब पहुंच गयी है. वहीं, वर्ष 2014 में बिहार की मातृ मृत्यु दर 165 थी, जो 2018 में कम कर 149 हो गयी. इस तरह 16 पॉइंट की कमी आई है. यह सुधार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक सुधार का संकेत भी है.
आधुनिक परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल बढ़ा:
श्री पाण्डेय ने बताया कि कोरोना काल के पहले आधुनिक गर्भनिरोधक साधन( छाया) के इस्तेमाल में बिहार देशभर में भी प्रथम था. इसके लिए क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रशिक्षित भी किया गया. पहले गर्भनिरोधक सूई( अंतरा) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही उपलब्ध ही था, जो अब राज्य के 8500 उप-स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी उपलब्ध कराया गया है. उन्होंने बताया कि बालिकाओं की शिक्षा को बेहतर करने से परिवार नियोजन कार्यक्रम को अधिक सफ़ल बनाया जा सकता है. इसलिए सात निश्चय पार्ट-2 के तहत अब अविवाहित इंटर पास बालिकाओं को 10,000 रूपये की जगह 25000 रूपये एवं स्नातक पास विवाहित एवं अविवाहित बालिकाओं को 25,000 रूपये की जगह 50,000 रूपये दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन को सफल बनाने के लिए समुदाय के सभी वर्ग को भागीदारी करनी होगी, क्योंकि बढ़ती जनसंख्या परिवार, समुदाय, राज्य एवं देश के प्रगति में बाधक है.
परिवार नियोजन के सूचकांकों में हुयी वृद्धि:
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि विगत 5 सालों में राज्य के परिवार नियोजन के सूचकांकों में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2014-15 में बिहार में 24.1% लोग ही परिवार नियोजन के किसी साधन का इस्तेमाल करते थे, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर 55.8% हो गया है. वहीं, अनमेट नीड( ऐसे योग्य दम्पति जो परिवार नियोजन के साधन इस्तेमाल करना चाहते हैं पर उन्हें साधन उपलब्ध नहीं हो पाता है) भी 5 सालों में 21.2% से कम कर 13.6 % हो गयी है. साथ ही अर्ली मैरिज एवं 15-19 वर्ष में माँ बनने वाली किशिरियों की संख्या में भी सुधार हुआ है.
कोविड काल में भी परिवार नियोजन पर दिया गया ध्यान:
केयर इंडिया के पार्टी ऑफ़ चीफ़ सुनील बाबू ने बताया कि इस वर्ष के विश्व जनसंख्या दिवस की थीम ‘ कोविड-19 महामारी का प्रजनन क्षमता पर प्रभाव’ रखा गया है. इस दिशा में राज्य में कोरोना काल में भी परिवार नियोजन कार्यक्रम पर ध्यान दिया गया था. कोरोना काल के दौरान प्रवासियों में छाया गर्भनिरोधक गोली के वितरण से इसके इस्तेमाल में भी वृद्धि देखी गयी. पहले 18 साल तक की किशोरियां पहले बच्चे को जन्म देती थी, जो अब बढ़कर 19 साल हो गयी है.
इस दौरान सभी जिले के सिविल सर्जन, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी सहित लगभग 500 लोग ज़ूम एवं यूट्यूब के वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे. कार्यक्रम में परिवार नियोजन के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सज्जाद, केयर इण्डिया के पद्मा बुगीनैनी, राजेश, संजय एवं सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar