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बदलते मौसम में मौसमी बीमारियों के साथ-साथ डायरिया से रहें सतर्क और सावधान
- पोषक तत्व का करें उपयोग, डायरिया की समस्या से रहेंगे दूर
- गर्म और ताजा खाना का करें सेवन, साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल
लखीसराय-
लगातार हो रही बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव से मौसम में भी लगातार बदलाव हो रहा है। जिसके कारण जहाँ सर्दी-खाँसी, जुकाम समेत अन्य मौसमी बीमारी आम हो गई है। वहीं, इसके साथ डायरिया की भी संभावना बढ़ गई है। ऐसे में हमें विशेष सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। डायरिया से बचाव को लिए लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। दरअसल, बदलते मौसम में डायरिया के प्रकोप में आने का प्रबल संभावना हो जाती है। जिसके दायरे में कोई भी यानी सभी आयु वर्ग के लोग आ सकता है। डायरिया के कारण अत्यधिक निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) होने से समस्याएँ बढ़ जाती और उचित प्रबंधन के अभाव में यह जानलेवा भी हो जाता है। इसके लिए डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्कता एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर बच्चों को डायरिया जैसे गंभीर रोग से आसानी से सुरक्षित किया जा सकता है।
- जानें क्या है डायरिया और लक्षण :
टट्टी (पैखाना) की अवस्था बदलाव या सामान्य से ज्यादा बार, ज्यादा पतला या पानी जैसी होने वाली टट्टी ही डायरिया (दस्त) का पहला का लक्षण है। इसके अलावा बच्चा बेचैन व चिड़चिड़ा है, अथवा सुस्त या बेहोश है। बच्चे की ऑखें डाउन हो रही हैं । बच्चे को बहुत ज्यादा प्यास लगना अथवा पानी ना पीना । चिकोटी काटने पर पेट के बगल की त्वचा खींचने पर धीरे-धीरे पूर्वावस्था में आना अर्थात त्वचा के ललीचेपन में कमी आना आदि डायरिया का ही कारण और लक्षण है।
- डायरिया होने पर 14 दिनों तक जिंक का करें सेवन :
डायरिया होने पर लगातार 14 दिनों तक जिंक का सेवन करें। 02 माह से 06 माह तक के बच्चों को जिंक का 1/2 गोली 10 मिग्रा पानी में घोलकर या माँ के दूध के साथ घोलकर चम्मच से पिलाएं। 06 माह से 05 साल के बच्चों को एक गोली साफ पानी के माँ के दूध में घोलकर पिलाएं। जबकि, दो माह से कम आयु के बच्चों को 05 चम्मच ओआरएस प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 माह से 02 वर्ष तक बच्चे को 1/4 ग्लास से 1/2 ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं। 02 से 05 वर्ष तक के बच्चों को 1/2 ग्लास प्रत्येक दस्त के बाद पिलाएं।
- जिंक सेवन के ये हैं विशेष लाभ :
जिंक सेवन से दस्त और तीव्रता दोनों कम होती है। तीन महीने तक दस्त का खतरा नहीं के बराबर रहता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जबकि, ओआरएस से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है एवं दस्त के खतरे से बचाव करता है।
- बदलते मौसम में सिर्फ मौसमी बीमारियाँ का ही नहीं, बल्कि डायरिया की भी रहती है आशंका :-
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार भारती ने बताया, बदलते मौसम में ना सिर्फ मौसमी बीमारी बल्कि, डायरिया समेत अन्य बीमारियों की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए, लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की जरूरत है और खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। पौष्टिक आहार के सेवन पर बल देना चाहिए। क्योंकि, पोषण युक्त खाना संक्रामक और मौसमी बीमारियों से बचाव में काफी हद तक सहयोग करता है।
- साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल :
डायरिया से बचाव को लेकर साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। दरअसल, साफ-सफाई हमें ना सिर्फ किसी एक बीमारी बल्कि अनेकों बीमारी (खासकर संक्रामक) से दूर रखती है। इसके लिए खाने से पहले हाथों की नियमित तौर पर अच्छी तरह सफाई करें। घर के आसपास गंदगी और जलजमाव नहीं होने दें।
- गर्म व ताजा खाना का करें सेवन :
डायरिया से बचाव को लेकर गर्म व ताजा खाना खाएँ और बासी खाना से दूर रहें । साथ ही गर्म पानी का सेवन करें तो यह और बेहतर होगा। फ्रिज में रखें खाना खाने से परहेज करें। इसके अलावा समय पर खाना खाएं और अधिक देर तक भूखा नहीं रहें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar