नाथनगर रेफरल अस्पताल में टीबी मरीजों के समाधान को लेकर हुई बैठक


-मरीज के साथ उसके परिजनों ने भी शिविर में लिया भाग

-शिविर में सभी लोगों को टीबी से  बचाव की दी गई जानकारी 

भागलपुर, 20 दिसंबर।

जिला को 2025 से पहले टीबी से मुक्त कराना है। इसे लेकर जिला स्वास्थ्य समिति ने पूरी ताकत झोंक दी है। स्वास्थ्य विभाग को इस काम में कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) भी सहयोग कर रहा है। इसी सिलसिले में नाथनगर रेफरल अस्पताल में फॉरमेशन ऑफ केयर एंड सपोर्ट ग्रुप बनाने को लेकर सोमवार को एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में टीबी के 12 मरीज, 3 आशा कार्यकर्ता और कुछ टीबी मरीज की देखभाल करने वाले परिजन शामिल थे। इस दौरान सभी लोगों को टीबी से बचाव की जानकारी दी गई। साथ ही इलाज को लेकर उचित परामर्श दिया गया। टीवी मरीजों को होने वाली परेशानी को दूर करने के उपाय बताए गए और साथ ही टीबी की दवा बीच में नहीं छोड़ने की अपील की गई। ऐसा करने से एमडीआर टीबी होने का खतरा रहता है, जिसका इलाज ज्यादा दिनों तक चलता है। मौके पर केएचपीटी के कई सदस्य शामिल थे।  

संतुलित आहार लें :शिविर में आए लोगों को रेफरल अस्पताल की प्रभारी डॉ. अनुपमा सहाय ने कहा कि क्षेत्र टीबी से मुक्त बनाने के लिए हमलोग प्रयासरत हैं। इसे लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को टीबी से बचने के लिए सलाह दी जा रही है। इसी सिलसिले में सोमवार को शिविर का आयोजन किया गया। इसमें लोगों को टीबी से बचाव की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि टीबी से बचाव के लिए सही पोषण भी जरूरी है। अगर सही पोषण नहीं मिलेगा तो लोग कुपोषण के शिकार हो जाएंगे और उस पर टीबी की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसलिए लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए। आहार में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और मिनरल्स की मात्रा जरूर होनी चाहिए।

ज्यादातर मामले घनी आबादी वाले इलाके मेः डॉ. सहाय ने कहा कि टीबी के अधिकतर मामले घनी आबादी वाले इलाके में पाए जाते हैं। वहां पर गरीबी रहती है। लोगों को सही आहार नहीं मिल पाता है और वह टीबी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए हमलोग घनी आबादी वाले इलाके में लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं। लोगों को बचाव की जानकारी दे रहे हैं और साथ में सही पोषण लेने के लिए भी जागरूक कर रह हैं। 

सरकारी अस्पतालों में टीबी के इलाज की मुफ्त व्यवस्थाः डॉ. सहाय ने कहा कि दरअसल, टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है। इसी के तहत टीबी की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा मुफ्त है। साथ ही पौष्टिक भोजन करने के लिए टीबी मरीज को पांच सौ रुपये महीने छह महीने तक मिलता भी है। इसलिए अगर कोई आर्थिक तौर पर कमजोर भी है और उसमें टीबी के लक्षण दिखे तो उसे घबराना नहीं चाहिए। नजदीकि सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। दो सप्ताह तक लगातार खांसी होना या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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