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गर्भवती एवं गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी आयोडीन जरूरी
- उचित आयोडीन से बच्चों का मजबूत होगा शारीरिक और मानसिक विकास
- आयोडीन की कमी से गर्भस्थ शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास में हो सकती है परेशानी
खगड़िया, 17 मार्च।
गर्भधारण के साथ ही हर महिला में सुरक्षित प्रसव व स्वस्थ्य बच्चे का जन्म का पहली चाहत होती है। किन्तु, इसके लिए हर गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। तभी सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ्य बच्चे का जन्म होगा। अन्यथा थोड़ी सी लापरवाही भी बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। इसके लिए शरीर में उचित आयोडीन की मात्रा हो इसको लेकर सजग रहने की जरूरत है। दरअसल, आयोडीन की कमी से गर्भस्थ शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए, स्वस्थ बच्चे का जन्म के लिए शरीर में पर्याप्त आयोडीन होना जरूरी है।
- गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयोडीन जरूरी :
खगड़िया सदर पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजीव कुमार ने बताया कि गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए गर्भवती के शरीर में उचित मात्रा में आयोडीन होना जरूरी है। दरअसल, आयोडीन की कमी के कारण कम वजन वाला शिशु जन्म लेता है। इतना ही नहीं ऐसे में मृत शिशु का भी जन्म हो सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान हर गर्भवती को आयोडीन को लेकर सजग रहना चाहिए। इसके लिए चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए।
- आयोडीनयुक्त नमक का करें उपयोग :
आयोडीन , मिट्टी एवं पानी में पाई जाने वाला सूक्ष्म तत्व है। आयोडीन की कमी की समस्याओं को दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए। यह हर आयु वर्ग के लोगों के लिए जरूरी है। क्योंकि, आयोडीन का शरीर में उचित मात्रा होना हर किसी के लिए जरूरी है। हालाँकि, अल्पमात्रा में ही आयोडीन हमारे शरीर के लिए जरूरी है।
- आयोडीन की कमी का महसूस होते ही चिकित्सकों से कराएं जाँच :
शरीर में आयोडीन की कमी का महसूस होते ही तुरंत चिकित्सकों से जाँच कराना चाहिए और चिकित्सा परामर्श के अनुसार ही आगे की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। इसका शुरुआती लक्षण है शुष्क त्वचा, बालों का झड़ना, बोली में भारीपन समेत शरीर में अन्य परेशानी महसूस होना। इसलिए, आहार के साथ उचित आयोडीन का सेवन करना जरूरी है।
- आयोडीन की कमी से कई तरह की होती है परेशानी :
आयोडीन एक पोषक तत्व है। जिसकी कमी से लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। जैसे कि, नींद अधिक आना, श्वास व हृदय से संबंधित परेशानी, डिप्रेशन, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द, गर्भपात, विकलांगता आदि परेशानी आयोडीन की कमी से ही होता है। इसलिए, भले ही शरीर में आयोडीन अल्पमात्रा में ही जरूरी है। किन्तु, कमी होने पर बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वयस्कों के लिए सामान्यतः प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम (एमसीजी)आयोडीन की आवश्यकता होती है। जबकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रति दिन 200 एमसीजी जरूरी है।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar