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शिविर आयोजित कर स्कूली बच्चों को दिया गया एईएस/जेई का टीका
- महेशखूट स्थित एक निजी स्कूल में शिविर आयोजित, 1 से 15 आयु वर्ग के बच्चों को एईएस से बचाव के लिए टीका जरूरी, इसलिए जरूर कराएं टीकाकरण
खगड़िया, 29 अप्रैल-
एईएस/जेई (चमकी बुखार/मस्तिष्क ज्वर) से सामुदायिक स्तर पर लोगों को सुरक्षित रखने के लिए शासन-प्रशासन पूरी तरह सजग और संकल्पित है। जिसे सार्थक रूप देने के लिए जिले में लगातार एईएस/जेई से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान चल रहा है। इसी कड़ी में शुक्रवार को गोगरी रेफरल अस्पताल प्रबंधन द्वारा जिले के महेशखुंट स्थित एक निजी स्कूल में एईएस/जेई और कोविड टीकाकरण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 1 से 15 आयु वर्ग के दायरे में आने वाले सभी किशोर-किशोरियों को एईएस/जेई का टीका दिया गया। जबकि, प्रीकाॅशनरी डोज लेने की निर्धारित समयावधि पूरी करने वाले शिक्षकों को कोविड की प्रीकाॅशनरी डोज दी गयी। इसके अलावा शिविर के दौरान बच्चों को एईएस/जेई और कोविड से बचाव के लिए आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी गई। शिविर में मौजूद मेडिकल टीम में गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ चंद्रकात, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक रिपुंजय कुमार, केयर इंडिया के प्रखंड प्रबंधक नीलम सयानी समेत 10 सदस्यीय मेडिकल टीम के अलावा स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाएं मौजूद थी।
- एईएस/जेई से बचाव के लिए टीका साथ-साथ जागरूकता भी जरूरी :
गोगरी रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ चंद्रकांत ने बताया, एईएस/जेई से बचाव के लिए टीका के साथ-साथ जागरूकता भी बेहद जरूरी है। इसलिए, इस बीमारी से बचाव के लिए टीकाकरण जरूर कराएं। वहीं, उन्होंने कहा कि टीका के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर बच्चों को जागरूक करने की भी जरूरत है। इसलिए, तमाम स्वास्थ्य कर्मी अपने-अपने क्षेत्र में विद्यालय, ऑगनबाड़ी केंद्रों समेत अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को चेतना सत्र के तहत एईएस/जेई से बचाव के क्या कराना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए समेत बचाव से संबंधित अन्य जानकारियाँ दें और इस बीमारी के कारण, लक्षण एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दें। ताकि लक्षण महसूस होते ही बच्चे अपने अभिभावकों को अपनी परेशानी से अवगत करा सकें और समय पर संबंधित बच्चों का इलाज शुरू हो सके। क्योंकि, इस बीमारी को मात देने के समय पर इलाज शुरू कराना बेहद जरूरी है।
- 550 स्कूली बच्चों को दिया गया गया एईएस/जेई का टीका :
केयर इंडिया के डीटीओ-ऑन चंदन कुमार ने बताया, स्कूल में शिविर के दौरान कुल 550 स्कूली बच्चों (छात्र-छात्राएँ) को एईएस/जेई टीका दिया गया। साथ ही 08 शिक्षकों को कोविड वैक्सीन की प्रीकाॅशनरी डोज दी गयी। इस दौरान स्कूली बच्चों को एईएस/जेई एवं कोविड से बचाव के लिए आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी गई। जिसके दौरान बच्चों कोकारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई।
- चमकी से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लोगों को करें जागरूक :
प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक रिपुंजय कुमार ने बताया, एईएस/जेई से बचाव के लिए तीन धमकियां का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करें। पहला खिलाओ, दूसरा जगाओ और तीसरा अस्पताल ले जाओ। इसी के तहत बच्चों को रात में बिना खिलाए नहीं सुलाने, सुबह में जगाने और लक्षण महसूस होने पर तुरंत स्थानीय और नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान ले जाने के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करें। वहीं, उन्होंने कहा, मैं तमाम प्रखंड वासियों से भी अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटेफ बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता को लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।
- ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार चढ़े रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
- चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar