- World Wide
- International
- National
- State
- Union Territory
- Capital
- Social
- Political
- Legal
- Finance
- Education
- Medical
- Science & Tech.
- Information & Tech.
- Agriculture
- Industry
- Corporate
- Business
- Career
- Govt. Policy & Programme
- Health
- Sports
- Festival & Astrology
- Crime
- Men
- Women
- Outfit
- Jewellery
- Cosmetics
- Make-Up
- Romance
- Arts & Culture
- Glamour
- Film
- Fashion
- Review
- Satire
- Award
- Recipe
- Food Court
- Wild Life
- Advice
कोरोना बच्चों एवं किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को कर सकता है बाधित, सतर्कता जरुरी
- by
- Jul 09, 2020
- 1718 views
• निमहांस ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जारी की विस्तृत मार्गदर्शिका
• परिवार के किसी सदस्य के क्वारंटाइन होने पर बच्चे एवं किशोर हो सकते हैं परेशान
• निरंतर असुरक्षा की भावना किशोरों को आत्मघाती बनने पर कर सकता मजबूर
• किशोरों को विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करने के लिए करें प्रोत्साहित
बेगूसराय -
विगत 4 महीनों से लोगों के मन में कोरोना को लेकर असुरक्षा की भावना में अधिक बढ़ोतरी हुयी है. ऐसा नहीं है कि पहले कोई महामारी नहीं थी. प्लेग, हैजा,स्पेनिश फ्लू, एशियाई फ्लू, सार्स (SARS), मर्स (MERS) एवं इ-बोला (Ebola) जैसी महामारी ने पूर्व में भी वैश्विक स्तर पर लोगों को प्रभावित किया है. लेकिन कोविड-19 की महामारी बिल्कुल अलग पैमाने पर है. इसने पूरी दुनिया में दहशत पैदा कर दी है. वैश्विक स्तर पर निरंतर किये जा रहे प्रयासों के बाद भी कोविड-19 का सटीक उपचार उपलब्ध नहीं होने से लोगों के मन में निरंतर डर की भावना बढ़ रही है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से बाधित हो रहा है. इसको लेकर मानसिक स्वास्थ्य पर कार्य करने वाली संस्था निमहांस( नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, बैंगलोर) ने कोरोना संक्रमण काल में लोगों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा में समुदाय के सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए मार्गदर्शिका जारी की है.
किशोरों की मानसिक स्थिति समझने की जरूरत:
मार्गदर्शिका में बताया गया है कि किशोरावस्था के दौरान होने वाले मानक विकासात्मक परिवर्तनों के बारे में माता-पिता को जागरूक होना चाहिए. किशोरों को बच्चों की तुलना में कोविड-19 संबंधित मुद्दों की बेहतर समझ होती है. कोरोना के कारण किशोरों एवं युवाओं में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितिता में काफी बढ़ोतरी भी हुयी है, जिसके कारण युवाओं में मानसिक अवसाद, निरंतर चिंता एवं गंभीर हालातों में आत्महत्या तक की नौबत आ रही है. इसके लिए यह जरुरी है कि माता-पिता किशोरों की मानसिक स्थिति को समझें एवं संक्रमण के कारण होने वाले चुनौतियों का सामना करने में उनका सहयोग करें. लंबे समय से स्कूल एवं कॉलेज का बंद होना, दोस्तों से संपर्क खोना, परीक्षाओं के बारे में अनिश्चितता और उनके करियर विकल्पों पर प्रभाव एवं युवाओं के सामने अपनी नौकरी बचाने के दबाब के कारण उनमें अकेलापन, उदासी , आक्रामकता और चिड़चिड़ापन की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं. ऐसी हालातों में किशोर बोरियत, अकेलेपन और भावनात्मक परिवर्तनों को संभालने के लिए तम्बाकू एवं शराब आदि मादक पदार्थों का उपयोग करना शुरू कर सकते हैं.
किशोरों एवं युवाओं को अवसाद से बचाएं:
माता-पिता को अपने किशोर बच्चों में किसी भी भावनात्मक या व्यवहार परिवर्तन के लिए उत्सुकता से निरीक्षण करना चाहिए. कभी-कभी ये परिवर्तन सूक्ष्म हो सकते हैं. माता-पिता यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. माता-पिता को किशोरों एवं युवाओं की बातों को सुनकर, उनकी कठिनाइयों को स्वीकार कर, उनकी शंकाओं को दूर कर एवं उन्हें आश्वस्त कर समस्याओं को हल करने में भावनात्मक सहायता करना चाहिए. ऐसे दौर में कोरोना को लेकर कई भ्रामक जानकारियां भी फैलाई जा रही है. इसलिए माता-पिता किशोरों को विश्वसनीय स्रोतों जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आईसीएमआर. सीडीसी आदि से जानकारी प्राप्त करने के लिए करें प्रोत्साहित करें ताकि उन्हें सही जानकारी प्राप्त हो सके.
बच्चों का भी रखें ख्याल:
कोरोना काल में बच्चे मानसिक अवसाद का आसानी से शिकार हो सकते हैं. परिवार के किसी सदस्य में कोरोना की पुष्टि होना, किसी सदस्य का क्वारंटाइन सेंटर जाना, कोरोना काल में परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने एवं उनकी जरूरत की चीजें आसानी से उपलब्ध नहीं होने की दशा में बच्चे मानसिक तौर पर अधिक परेशान हो सकते है. इसलिए माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि बच्चे महामारी से संबंधित जानकारी के संपर्क में न हों. मीडिया एक्सपोजर को सीमित करें, खासकर अगर डर, विरोध या संक्रमण को लेकर कोई खतरनाक जानकारी हो. बच्चों के सामने अक्सर कोरोना प्रसार पर चर्चा करने से बचें.
दैनिक दिनचर्या पर माता-पिता करें कार्य:
माता-पिता बच्चे के लिए एक नई दिनचर्या का चित्र बनाएं. इस दिनचर्या में शैक्षणिक कार्य, खेल, साथियों के साथ फोन पर बातचीत या प्रौद्योगिकी के अन्य रूपों के साथ परिवार के समय का उपयोग करना शामिल होना चाहिए. बच्चों का भोजन और सोने का समय निर्धारित करें. इस दिनचर्या के हिस्से के रूप में कुछ इनडोर अभ्यास भी करना बेहतर पहल होगी जैसे योग, स्ट्रेच, स्किपिंग, आदि. हालांकि, इस दिनचर्या को अधिक सख्त बनाने की जरुरत नहीं है. समय के साथ इसमें बदलाव करते रहना चाहिए
संबंधित पोस्ट
CPJ COLLEGE NARELA ORGANIZED ALUMNI MEET “RECONNECT-2024” ON 29TH DECEMBER, 2024
- Jan 01, 2025
- 118 views
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Premier World (Admin)