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शिशु के लिए डीपीटी व बीसीजी का टीकाकरण अतिआवश्यक: डॉ अशोक
- by
- Jul 02, 2020
- 3397 views
• ससटेनेंबल डेवलपमेंट गोल्स में शामिल हैं शिशुओं का पूर्ण टीकाकरण
• बच्चों के टीकाकरण की सभी सुविधाएं स्वास्थ्यकेंद्रों पर भी हैं उपलब्ध
• बूस्टर खुराक का भी माता पिता रखें ख्याल, नहीं करें इन्हें नजरअंदाज
• जिला में 12 से 23 माह के 59.1% बच्चे पूर्ण प्रतिरक्षित
लखीसराय, 2 जूलाई: राज्य में टीकाकरण कवरेज 80% से अधिक होने के कारण शिशु मृत्यु दर एवं पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है. सैंपल सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में बिहार की शिशु मृत्यु दर 35 थी, जो वर्ष 2018 में घटकर 32 हो गयी. वहीं नवजात में प्रति एक हजार होने वाली मृत्यु दर 28 घटकर 25 हो गयी. अंडर 5 साल के शिशु की होने वाली मृत्यु 41 से कम होकर 37 हो गया है. इसकी वजह बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम टीकाकरण है. इसको ध्यान में रखते हुए जिला में नियमित टीकाकरण का काम पुन: बहाल किया गया है. आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं की मदद से लाभार्थी के घर घर जाकर टीकाकरण का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग 5 साल से कम उम्र वाले उन सभी बच्चों को चिन्हित कर रहा है जिन्हें प्रतिरक्षित किया जाना है.
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अशोक भारती ने बताया टीकाकरण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उन्हें पूरे जीवनकाल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. डीपीटी, बीसीजी व एएमआर महत्वपूर्ण टीकाकरण है. डीपीटी की पहली खुराक 16 से 24 माह की उम्र में दी जाती है. इसकी बूस्टर खुराक पांच से छह साल की उम्र में दी जाती है. इस एक टीका से तीन बीमारियों डीपथेरिया, टेटनस व काली खांसी की रोकथाम की जाती है. एमआर(मीजिल्स-रूबेला) टीकाकरण शिशुओं को खसरा, मम्प्स और रूबेला जैसे रोगों व बीसीजी का टीका टीबी से बचाव करता है.
सभी स्वास्थ्यकेंद्रों पर मौजूद हैं टीकाकरण की सुविधाएं:
डॉ. भारती ने बताया माता-पिता अपने बच्चों का ससमय टीकाकरण करायें. टीका के बूस्टर खुराक को भी नजरअंदाज नहीं करें. सभी प्राथमिक व सदर अस्पताल सहित स्वास्थ्यकेंद्रों पर टीकाकरण की सुविधांए मौजूद है. इसकी आवश्यक जानकारी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से भी प्राप्त कर सकते हैं. टीकाकरण के प्रतिशत को बढ़ाया जाना आवश्यक है ताकि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को कम कर सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके.
12 से 23 माह के 59.1% शिशु पूर्ण प्रतिरक्षित:
राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस 4) की रिपोर्ट के मुताबिक जिला में 12 से 23 माह के 59.1% बच्चों का पूर्ण प्रतिरक्षित हैं. इन्हें पोलियो व डीपीटी की तीन खुराक सहित बीसीजी, मिजल्स का टीकाकरण देकर पूर्ण प्रतिरक्षित किया गया है. वहीं इसी आयु समूह के 80.1% बच्चों को डीपीटी की तीन खुराक व 89.3 फीसदी बच्चों को बीसीजी का टीकाकरण कर प्रतिरक्षित किया गया है. 75.3% बच्चों को ओरल पोलियो वैक्सीन दिया गया है.
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रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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